महाकाल के 2 कर्मचारी वीआईपी दर्शन में वसूली करते पकड़ाए, राशि अपने खाते में डलवा रहे थे
– कलेक्टर को इन दोनों पर पहले से शक था, समिति ने खाते चेक करवाए तो खुलासा
– दोनों कर्मचारी श्रीवास्तव और चौकसे को महाकाल थाना पुलिस ने हिरासत में लिया
दैनिक अवंतिका उज्जैन।
महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के 2 कर्मचारी श्रद्धालुओं से वीआईपी दर्शन के नाम पर रुपए की वसूली करते पकड़ाए है। वसूली की राशि वे सीधे अपने खातों में डलवा रहे थे। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह को इन दोनों कर्मचारियों पर पहले से शक था। जब समिति ने इनके बैंक खाते चेक करवाए तो खुलासा हो गया। समिति की शिकायत के बाद महाकाल थाना पुलिस ने दोनों कर्मचारी राकेश श्रीवास्तव व विनोद चौकसे को हिरासत में लेकर उनके पूछताछ शुरू कर दी है।
मंदिर में एक दिन पहले ही दो पुरोहित अजय शर्मा और राजेश भट्ट श्रद्धालुओं से गर्भगृह में जल चढ़ाने और नंदीहॉल से वीआईपी दर्शन कराने के नाम पर 1100-1100 रुपए की वसूली करते पकड़ाए थे। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने खुद इन्हें नंदीहॉल से पकड़ा था। बाद में दोनों को महाकाल थाना पुलिस के सुपुर्द किया गया था। पुलिस ने दोनों पर अपने स्तर पर कार्रवाई की है। वहीं मंदिर प्रबंध समिति ने दोनों पुरोहितों के साथ इनके एक सेवक व नंदीहॉल में पदस्थ निजी एजेंसी के तीन-चार सुरक्षा गार्डों को निलंबित कर दिया है। यह मामला अभी जांच में ही चल रहा है। और ठीक एक दिन बाद फिर एक नया मामला उजागर हो गया। इस बार मंदिर समिति के दो कर्मचारी वीआईपी दर्शन के नाम पर रुपए की वूसली करते पकड़ाए है। ये दोनों गर्भगृह और नंदीहॉल में प्रोटोकॉल दर्शन व्यवस्था में तैनात थे। इसके चलते ये दोनों कर्मचारी मंदिर के पंडे-पुजारियों के साथ मिलकर वीआईपी दर्शन के नाम पर रुपए वसूल रहे थे। दोनों श्रद्धालुओं और पंडे-पुजारियों से मिलने वाली राशि अपने खातों में डलवा रहे थे। हाल ही में कलेक्टर सिंह को शक हुआ था कि दान राशि में कमी कैसे हो रही है। उन्हें यहां पदस्थ इन कर्मचारियों पर भी शंका हो रही थी। उनके निर्देश के बाद दोनों कर्मचारियों के खाते चेक कराए गए तो लाखों रुपए का ट्रांजेक्शन होना पाया गया है।पुलिस ने फिलहाल दोरों कर्मचारियों के खिलाफ धारा 151 के तहत कार्रवाई कर मामला जांच में लिया है।
ऐसे वसूली, बिना टिकट के अंदर
नंदीहॉल से करवा देते थे दर्शन
जानकारी के मुताबिक ये दोनों कर्मचारी मंदिर में ऐसी खास जगह पदस्थ थे कि इनकी सहमति से श्रद्धालु वीआईपी दर्शन कर सकते थे। एक श्रीवास्तव सभामंडप में तैनात है तो दूसरा चौकसे नंदीहॉल व गर्भगृह के बाहर के गलियारे में दर्शन व्यवस्था में। ऐसे में ये दोनों महाकाल मंदिर में रोज आने वाले विभिन्न विभागों के लोगों, पंडे-पुजारियों के यजमानों सहित कई श्रद्धालुओं को सीधे बिना टिकट के अंदर ले जाकर दर्शन करवाते थे। इनमें न्यायालय, प्रशासन, मीडिया, जनप्रतिनिधि सहित सभी तरह के वीआईपी भी शामिल थे। वैसे तो नंदी हॉल तक दर्शन की अनुमति प्रोटोकॉल वालों को समिति के कार्यालय से जारी की जाती है। लेकिन इसकी भी 250 रुपए की टिकट लेना अनिवाय है। लेकिन ये सीधे बिना टिकट के ही दर्शन करवा देते थे। कलेक्टर सिंह ने बताया कि इतना ही नहीं ये दोनों कर्मचारी पहले भक्तों को नंदी हॉल से विशेष दर्शन और जल चढ़ाने का झांसा देकर पुजारी और पुरोहित से भी मिलवाते थे। इसके बाद, प्रत्येक भक्त से 1100 से 2000 रुपए तक वसूले जाते थे। जबकि यह राशि मंदिर समिति को जानी चाहिए थी, इसे कर्मचारियों ने खुद हड़प लिया।
दोनों कर्मचारियों के परिवार
के खातों में भी राशि डलवाई
उज्जैन कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने पुष्टि करते हुए बताया कि जांच में यह बात सामने आई है कि कर्मचारियों ने भक्तों से वसूली गई राशि को अपने परिवार के सदस्यों के खातों में ट्रांसफर किया। पूरा मामला दर्शन के नाम पर अवैध वसूली का है। अन्य कर्मचारियों के नाम भी जांच में सामने आ सकते हैं। सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं। दोषी कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उन्हें सेवा से बर्खास्त किया जाएगा।