उज्जैन। शहर में 23 दिसंबर को हनुमान अष्टमी का उल्लास बिखरेगा। शहर के प्रमुख हनुमान मंदिरों में अष्टमी मनाने की तैयारियां हो गई है। कहीं भंडारे का आयोजन होगा तो कहीं महाआरती संपन्न कर भक्तों को प्रसादी बांटी जाएगी। गौरतलब है कि पहले सिर्फ उज्जैन में ही हनुमान अष्टमी मनाई जाती थी लेकिन अब बीते कुछ वर्षों से जिले के कई क्षेत्रों में हनुमान मंदिरों में अष्टमी के आयोजन होने लगे है।
उज्जैन में जाकर विश्राम किया था
इस दिन हनुमान जी ने पाताल लोक में अहिरावण पर विजय प्राप्त की थी। हनुमान अष्टमी के दिन हनुमानजी के दर्शन-पूजन का विशेष महत्व होता है। कई भक्त इस दिन व्रत भी रखते हैं। इस दिन हनुमानजी का पूजन-दर्शन करने से मनुष्य को जीवन में विजयश्री प्राप्त होती है और उसके सारे संकटों का नाश होता है। पुराणों के अनुसार त्रेतायुग में लंका युद्ध के दौरान अहिरावण राम और लक्ष्मण को बंदी बनाकर पाताल लोक में ले गया था और उनकी बलि देना चाहता था। तब हनुमानजी ने पाताल लोक में जाकर अहिरावण का वध करके राम-लक्ष्मण को बंधन मुक्त कराया था तथा पृथ्वी के नाभि स्थल कहे जाने वाले अवंतिका नगरी अर्थात उज्जैन में जाकर विश्राम किया था। तब प्रभु श्रीराम ने प्रसन्न होकर हनुमानजी को आशीर्वाद दिया था कि जो भी भक्त पौष कृष्ण अष्टमी के दिन तुम्हारा पूजन करेगा उसे सर्वत्र विजय प्राप्त होगी। वह जीवन के किसी प्रसंग में कभी हार का सामना नहीं करेगा।
रूद्र स्वरूप में भगवान हनुमान विराजमान
महाकाल की नगरी में रूद्र स्वरूप में भगवान हनुमान भी विराजमान हैं। मलमास के साथ यह महीना धनु संक्रांति का भी माना गया है, साथ ही सूर्य की साधना भी इस महीने में करने का विशेष महत्व है। इसी महीने में संयोग से हनुमान अष्टमी भी आती है। यहां पर 108 हनुमान यात्रा का विधान है, जो शक्ति का अंश मानकर की जाती है। इससे मानसिक, शारीरिक कष्ट दूर होते हैं। इस माह में ऋतु के परिवर्तन का विधान भी बताया जाता है। इसमें सूर्य और हनुमानजी की आराधना करने से लाभ मिलता है। अवंतिका में हनुमान जी की चैतन्य मूर्तियों के अनेक स्थान हैं। हनुमंतकेश्वर 84 महादेवों में शामिल हैं।