इस दिन हनुमान जी ने पाताल लोक में अहिरावण पर विजय प्राप्त की थी। हनुमान अष्टमी के दिन हनुमानजी के दर्शन-पूजन का विशेष महत्व होता है। कई भक्त इस दिन व्रत भी रखते हैं। इस दिन हनुमानजी का पूजन-दर्शन करने से मनुष्य को जीवन में विजयश्री प्राप्त होती है और उसके सारे संकटों का नाश होता है। पुराणों के अनुसार त्रेतायुग में लंका युद्ध के दौरान अहिरावण राम और लक्ष्मण को बंदी बनाकर पाताल लोक में ले गया था और उनकी बलि देना चाहता था। तब हनुमानजी ने पाताल लोक में जाकर अहिरावण का वध करके राम-लक्ष्मण को बंधन मुक्त कराया था तथा पृथ्वी के नाभि स्थल कहे जाने वाले अवंतिका नगरी अर्थात उज्जैन में जाकर विश्राम किया था। तब प्रभु श्रीराम ने प्रसन्न होकर हनुमानजी को आशीर्वाद दिया था कि जो भी भक्त पौष कृष्ण अष्टमी के दिन तुम्हारा पूजन करेगा उसे सर्वत्र विजय प्राप्त होगी। वह जीवन के किसी प्रसंग में कभी हार का सामना नहीं करेगा।