जवाहर मार्ग का विकल्प कब बनेगा सरवटे से गंगवाल तक का मार्ग
इंदौर। इंदौर शहर में यातायात का दबाव एवं व्यापारिक, कारोबारी गतिविधियों के मान से जाम की स्थिति ना बने, इसके लिए जवाहर मार्ग का विकल्प माना जाता रहा है। सरवटे बस स्टैंड से गंगवाल बस स्टैंड तक की सड़क को। इसी को ध्यान में रखकर योजना बनाते समय इसके बढ़- चढ़कर फायदे गिनाए गए, मगर बनाने की बारी आई तो असमंजस की स्थिति खत्म होने का नाम नहीं ले रही। बरसों बाद भी सड़क अधूरी है तोड़-फोड़, कोर्ट-कचहरी सब हो चुका, लेकिन सड़क पूरी होने का मुहूर्त नहीं आया। ट्रैफिक के लिहाज से सड़क कितनी जरूरी है, इस बात का अंदाज इसी से लगा सकते हैं कि दोपहर बाद से ही हाथीपाला चौराहे से चंद्रभागा पुल तक गाड़ियां दौड़ती नहीं रेंगती हैं।
ठेकेदार ढूंढने की चौथी बार मशक्कत सरवटे बस स्टैंड जूनीइंदौर अंडरब्रिज से चंद्रभागा होते हुए मच्छी बाजार चौराहे तक अधूरी सड़क का काम पूरा करने के लिए नगर निगम ने चौथी बार टेंडर निकाला है।
प्रमुख बातें
■ सरवटे बस स्टैंड से मच्छी बाजार चौराहे तक अधूरी सड़क
आधी-अधूरी बनी है।
उसके बाद तो हाल ये है कि सड़क के बीच लगे खंभे तक नहीं हटे। रोज गाड़ियां उलझती हैं। कई बार टकराती भी हैं, लेकिन नगर निगम के अधिकारियों को कोई फिक्र नहीं, कहते हैं कि सड़क बनना चालू होगी, तो सब ठीक हो जाएगा। कब बनेगी… पूछने पर कहते हैं कि कोई ठेकेदार तो तैयार हो।
बार-बार टेंडर निकलते हैं, मगर कोई ठेकेदार काम के लिए राजी नहीं होता। इस बार चौथा प्रयास है ठेकेदार ढूंढने का। पक्का नहीं है कि इस बार भी मिल ही जाएगा।
चंद्रभागा मुख्य मार्ग के लिए भी निकाले टेंडर —
कलालकुई मस्जिद से खेड़ापति हनुमान मंदिर तक के चंद्रभागा मेन रोड का भी यही हाल था। बार-बार टेंडर निकल रहे थे, कोई ठेकेदार नहीं मिल रहा था।
अब जाकर बात बनी है, वो भी तब जब नगर निगम जनकार्य समिति के प्रभारी राजेंद्र राठौर खुद आगे आए और बीआर गोयल को किसी तरह सड़क बनाने के लिए राजी किया। उनसे आशा है कि इस सड़क के लिए भी वे कुछ ऐसी ही कोशिश करेंगे।
कायाकल्प 2.0 योजना में मिले है पैसे —-
ये सड़क कायाकल्प अभियान 2.0 योजना में मिले पैसे से बनना है। शहरी क्षेत्र में सड़कों की कायापलट के लिए बनी इस योजना में समय पर काम और गुणवत्ता दोनों पर ही जोर रहता है। इसके लिए सुपरविजन कमेटी होती है, जो सरकार के निर्देश मुताबिक काम पर नजर रखती है टेंडर में ये शर्त भी नत्थी है कि टेस्टिंग डबल फ्रिा सी में कराई जाएगी और सड़क की गारंटी पांच साल की रहेगी यानी इस बीच ऊंच- नीच का जिम्मेदार ठेकेदार होगा।
जिन सड़कों को बनाया उनके क्या हाल- ट्रांसपोर्ट नगर के कारोबारियों ने सड़क बनाने के लिए जेब से पैसा दिया है, ताकि नगर निगम पर पूरा बोझ न आए। सात करोड़ रुपए से ज्यादा के काम होना है, मगर दिक्कत वहीं कि ठेकेदार नहीं मिल रहा।
तीन बार टेंडर निकले, कोई ठेकेदार नहीं आया। इस बार फिर टेंडर निकला है। कारोबारियों का कहना है कि जिन सड़को को बनाया जाना है, उनका हाल अभी ये है कि बरसात में बड़े-बड़े गड्ढे हो जाते हैं। कई बार इनमें गाड़ियां पलट जाती है।
पानी भरा होने से मच्छरों के कारण कारोबारी बीमार होते हैं। नगर निगम में बात करो तो कहा जाता है कि ठेकेदार मिलते ही काम चालू हो जाएगा।
ट्रांसपोर्ट नगर में भी ठेकेदार का इंतजार —
नगर निगम को मास्टर प्लान की 23 सड़कों के लिए भले ही आसानी से ठेकेदार मिल गए हो, मगर शहर की बाकी सड़कों के लिए खूब मशक्कत करना पड़ रही है, फिर भी कामयाबी नहीं मिल रही। इसमें ट्रांसपोर्ट नगर की सड़क भी शामिल है। यहां तीन गलियां और मेन रोड बनना है। स्टार्म वाटर लाइन के साथ ही फुटपाथ का काम भी होना है।