महाकाल में दर्शन के नाम पर वसूली करने वाले दोनों कर्मचारी रिमांड पर

– कोर्ट में पेश, बोले – महाकाल ही सब अच्छा करेंगे, कलेक्टर ने प्रतिवेदन सरकार को भेजा

 

दैनिक अवंतिका उज्जैन।

महाकाल मंदिर में श्रद्धालुओं से वीआईपी दर्शन के नाम पर रुपए वसूलने वाले समिति के दो कर्मचारी राकेश श्रीवास्ताव और विनोद चौकसे को पुलिस ने गिरफ्तार मंगलवार को कोर्ट में पेश किया। दोनों को कोर्ट से रिमांड पर भेजा गया है। पुलिस अब उनसे मामले में आगे पूछताछ कर रही है। 

कोर्ट पर पेशी के दौरान मीडिया से दोनों आरोपियों ने कहा कि उन्होंने कुछ नहीं किया। ये दोनों कर्मचारी मंदिर में होने वाली आय से अपनी जेब भर रहे थे। दोनों के बैंक खाते में से जांच के दौरान लाखों रुपए जमा होने व लेनदेन होने की जानकारी मिली है। महाकाल थाना पुलिस ने दोनों आरोपियों के खिलाफ अमानत में खयानत सहित कई धाराओं में मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया है। इधर मामले कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने मंदिर की आय में कमी की जांच के बाद शासन को एक प्रतिवेदन भेजा गया है। हालांकि कलेक्टर ने अभी यह स्पष्ट नहीं किया कि प्रतिवेदन किसके खिलाफ है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह प्रतिवेदन मंदिर के ही वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ है। संभावना है कि भोपाल स्तर पर कार्रवाई के बाद मंदिर से जुड़े बड़े अधिकारी पर गाज गिर सकती है।

2 दिन के रिमांड पर भेजे गए दोनों आरोपी

दोनों आरोपी को मंगलवार को कोर्ट में पेश होने के बाद दो दिन के लिए पुलिस रिमांड पर भेजा गया है। पुलिस ने जांच के लिए पांच दिन का रिमांड मांगा, लेकिन आरोपियों के वकील वीरेंद्र शर्मा ने इसका विरोध किया। वकील ने कहा कि गुरुवार से ही दोनों को थाने में रखा गया है और पुलिस अब और रिमांड मांग रही है। उन्होंने कोर्ट से थाने की सीसीटीवी रिकॉर्डिंग उपलब्ध कराने की मांग की। फिलहाल कोर्ट ने दोनों आरोपियों को दो दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा है।

दोनों आरोपी ऐसे करते थे मंदिर में घोटाला

– महाकाल मंदिर में प्रोटोकॉल दर्शन के तहत न्यायालय अधिकारियों, मीडिया, जनप्रतिनिधियों और अन्य वीआईपी श्रद्धालुओं को नंदी हॉल तक जाने की अनुमति मंदिर कार्यालय से दी जाती है।

– सामान्य दर्शनार्थियों को 250 रुपए की रसीद के माध्यम से बिना लाइन दर्शन की सुविधा मिलती है।

– इसी व्यवस्था का फायदा उठाकर मंदिर के कर्मचारी ठगी को अंजाम देते थे।

– कर्मचारी पहले भक्तों को नंदी हॉल से विशेष दर्शन और जल चढ़ाने का झांसा देते फिर पुजारी और पुरोहित से मिलवाते थे। 

– इसके बाद, प्रत्येक श्रद्धालु से 1100 से 2000 रुपए या इससे अधिक राशि भी वसूले लेते थे। नियम अनुसार तो यह राशि मंदिर समिति को जानी चाहिए थी, इसे कर्मचारी अपनी जेब में रख रहे थे।

Author: Dainik Awantika