खुसूर-फुसूर
मंदिर की जमीन का मुद्दा दबा
मंदिर में पिछले एक सप्ताह के दौरान अवैध वसूली का मामला सामने आया है। इसमें प्रारंभिक स्तर पर पैसा लेकर दर्शन करवाने की स्थिति सामने आई थी। जांच में एक के बाद एक सिरा खुलता चला गया और सामने आया कि कर्मचारी भी इसमें संलिप्त हैं। पिछले कुछ सालों में कर्मचारियों की जिस तरह से मंदिर में नियुक्ति हुई है वह भी अपने आप में सवालिया निशान लगा रहा है । आखिर इन कर्मचारियों की नियुक्ति के पीछे का आधार क्या रहा है यह समझ से परे ही रहा है। पूर्व में कई सारे काम मानसेवी से करवाए जाते थे वे सब मंदिर से गायब हो गए और उनकी जगह पर कर्मचारियों ने स्थान ले लिया जिन्हें अच्छा खासा वेतन दिया जा रहा है उसके बाद भी गडबड घोटालों का बोलबाला है।दो कर्मचारियों के खातों में ही जमकर पैसा जाने का मामला सामने आया है। इनसे जुडे कुछ तो अभी सामने ही नहीं आए हैं। इस पूरे मामले के कारण मंदिर की 45 बीघा जमीन का मामला पुरी तरह से दबकर रह गया है। पूरे मामले में न तो समिति और न ही अशासकीय सदस्यों की और से कुछ बोला जा रहा है। खुसूर-फुसूर है कि श्रद्धालुओं के साथ धोखाधडी और मंदिर की अमानत में खयानत का मामला कई माह से अंजाम दिया जा रहा था । अब भी पूरे मामले में संलिप्त कई सारे लोग पकड से दूर हैं । खास तो यह है कि मंदिर में श्रद्धालुओं के साथ धोखाधडी और अमानत में खयानत का मामला पहला नहीं है इससे पूर्व भी ऐसे मामले आए पर इनकी पुनर्रावृत्ति न हो इसे लेकर कोई पहल इजाद नहीं की गई। पूर्व में गणना के मामले में समिति की जांच में जो सुझाव दिए गए थे उस पर भी अमल नहीं हो रहा है। मंदिर की जमीन के मामले में भी सिरे से जांच की जाना चाहिए और इसमें समय पर आपत्ति दर्ज न होने सहित तमाम बिंदुओं की जांच करते हुए इस पर भी प्रशासन को सख्त कार्रवाई करना ही चाहिए।