उज्जैन। बुद्घु बक्से की बकवास घर –घर में जगह बना चुकी हैं इसी तरह से आनलाईन सट्टे के कारोबार ने भी घरों में मोबाईल के जरिए घूसपैठ कर ली है। यहां तक की इक्का-मिंढी भी अब आनलाईन जोर मार रहा है। आनलाइन गेम बनाने वाले सट्टा कारोबारी मोबाइल एप के जरिए लोगों तक गेम पहुंचा रहे हैं, जिसे जीतने पर गिफ्ट या नकद धनराशि देने का आफर दिया जा रहा है। इतना ही नहीं, इंटरनेट मीडिया पर खुलेआम इसके विज्ञापन का प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है।जुआ और सट्टेका कारोबार गली, कूचों या फिर होटलों में चल रहा था, जिस पर पुलिस कार्रवाई भी करती रही है। ऑन लाइन सट्टे के खेल में बच्चे, युवा और महिलाएं भी – फंस रहे है। स्थिति यह है कि मटके -वाले इक्का, मिंडी का सट्टा भी – ऑनलाइन ऐप स्टाल कर खेला जाने लगा है।ऑनलाइन मटके पर लगाम लग पाना मुश्किल लग रहा है।आनलाईन गेमिंग का बडा कारोबार-बीते कुछ सालों में आनलाइन गेमिंग का कारोबार बड़ा आकार ले चुका है। आनलाइन गेम बनाने वाले सट्टा कारोबारी मोबाइल एप के जरिए लोगों तक गेम पहुंचा रहे हैं, जिसे जीतने पर गिफ्ट या नकद धनराशि देने का आफर दिया जा रहा है। इस प्रलोभन के बाद तो उनके सबस्क्राईबर सुरसा की तरह बढ रहे हैं। इतना ही नहीं, इंटरनेट मीडिया पर खुलेआम इसके विज्ञापन का प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है। इसमें कई सेलिब्रिटीज को शामिल किया गया है। आनलाइन खेले जाने वाले इस जुए के खेल में सबसे ज्यादा संलिप्तता युवाओं की है। जो आनलाइन गेम के चक्कर में फंसकर समय और पैसा दोनों गंवा रहे हैं। आनलाइन गेमिंग में सबसे ज्यादा रमी सर्कल, पोकर खेल रहे हैं।कसीनों गेम्स आए दिन बदल रहे-आनलाइन गेम के जरिए जुआ खेलने का धंधा घरों तक पहुंच गया है। इन्हें कसीनों गेम्स भी कहा जाता है ओर इनके एप्प का प्रचार प्रसार करते हुए यह भी कहा जाता है कि यह आर्थिक रूप से जोखिम का है। इसके बाद भी बच्चे,युवा,घरों में फुर्सत में रहने वाली महिलाएं इन्हें डाउन लोड कर इन्हें खेल रही हैं। सबसे बड़ी परेशानी यह होती है कि लोगों को इसकी लत लग जाती है, क्योंकि यह मल्टीप्लेयर गेम होते हैं। पाइंट इसमें लोगों को मिलते हैं, हमेशा से यह रहा है कि जो भी गेम मल्टीप्लेयर रहा है। उसमें रियल टाइम यूजर होते हैं। मल्टीप्लेयर होते हैं। वे बहुत ही पापुलर होते हैं। इन गेम्स में भी कुछ ऐसा ही है। लत लगने के कारण पाइंट हारने पर युवा फिर पैसे खर्च कर पाइंट खरीदने को विवश हो जाता है।एकाकी परिवार में ज्यादा चलन-सामने आ रहा है कि एकाकी परिवार के बच्चे,महिलाएं एवं धनाढय परिवार के युवा इस और ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं। हाल यह हैं कि इन गेम के पाईंट को स्टेटस सिंबल बनाया जा रहा है। बेरोजगार और कालेज स्टूडेंट्स इन खेलों में पैसा फूंक रहे हैं। युवतियां तक उनकी गिरफ्त में आ रही हैं। इसमें पाइंट मिलने के बाद भी जीतने की संभावना नहीं रहती। इसके बाद भी स्कूल कालेज के युवा इन खेलों की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं।