उज्जैन। चरक जिला अस्पताल में पर्ची बनाने का काम ठेका अंतर्गत किया जा रहा है। इस काम को ठेकेदार के लोग संवेदनशुन्य होकर अंजाम दे रहे हैं। मरीजों को पर्ची के लिए इधर से उधर और उधर से ईधर टाले दिए जा रहे हैं। हाल ही में एक मामले में दुर्घटनाग्रस्त बहनों को सिविल सर्जन के हस्तक्षेप के बाद पर्ची बनाने का मामला रहा है। ठेका कंपनी कर्मचारी संवेदनशुन्य होकर और भी मरीजों के साथ ऐसा ही व्यवहार कर रहे हैं।जिला अस्पताल का पुराना भवन टूटने के बाद पुरा अस्पताल चरक भवन में शिफ्ट किया गया है। इसके चलते यहां आने वाले मरीजों की संख्या बढ गई है। अस्पताल के तकरीबन सभी विभाग यहां चलनें से ऐसे हालात बने हैं। ऐसी स्थिति में अस्पताल में संवेदनशीलता गंभीर होना चाहिए। उसकी अपेक्षा संवेदनशुन्यता की स्थिति निर्मित हो रही है। जिला अस्पताल में ठेके में चलने वाले कामों में यह स्थिति ज्यादा देखी जा रही है। चरक भवन में पर्ची का काम ठेके पर एक निजी कंपनी अंजाम देती है । इसके लिए उसके कर्मचारी ही पर्ची बनाते हैं और संबंधित से पैसे लेते हैं। पर्ची बनाने वाले कर्मचारी जब तक पर्ची नहीं बनाते हैं चिकित्सक भी मरीज को देखने की स्थिति में नहीं रहते हैं। हाल यह हैं कि कर्मचारी दुर्घटना में घायलों को तत्काल पर्ची बनाने के स्थान पर उन्हें इधर जाओं, उधर जाओ कहकर टालते रहते हैं और अपने कामों में व्यस्त रहते हैं। कई बार तो यहां लंबी लाईनें लगी रहती है और कर्मचारी प्रिंटर खराब होने और अन्यानेक कारण बताकर अपने कामों में मशगुल रहते हैं।सिविल सर्जन को करना पडा हस्तक्षेप-रविवार को कोयला फाटक पर स्कूटी पर जा रही श्री कृष्ण कालोनी निवासी 20 वर्षीय दिशा पिता शैलेष नागर एवं14 वर्षीय पूर्वा को कार ने टक्कर मार दी थी। टक्कर लगने से दिशा और उनकी बहन पूर्वी गाड़ी सहित गिरकर घायल हो गई। कार चालक मौके से फरार हो गया। दिशा और पूर्वा ने तत्काल अपने पिता नगर निगम कर्मचारी संघ नेता शैलेष नागर को हादसे की जानकारी दी थी। तत्काल घटनास्थल पहुंचे पिता दोनों घायल बेटियों को लेकर चरक अस्पताल ले गए थे। चरक अस्पताल के काउंटर पर जब उन्होंने पर्चा बनाने को कहा तो वहां मौजूद कर्मचारी ने बोला कि आपका पर्चा यहां नहीं बनेगा, दूसरे काउंटर पर जाइए। इसी तरह एक से दूसरे काउंटर पर उन्हें कर्मचारी घुमाते रहे। इस दौरान उनकी दोनों घायल बेटियां दर्द से कराहती रहीं। नागर के अनुसार करीब आधे घंटे तक वह अस्पताल का पर्चा बनवाले के लिए भटकते रहे। सिविल सर्जन डॉ. अजय दिवाकर को इस बात से अवगत करवाने पर उनके हस्तक्षेप के बाद घायल दोनों बच्चियों का पर्चा बन सका और उपचार उपलब्ध हो सका। हर बात के लिए अलग काउंटर-इधर बताया जा रहा है कि पर्चा काउंटर पर अलग अलग विभाग की स्थिति बनाई गई है। इसके तहत अलग-अलग काउंटर को काम सौंपा जाना सामने आ रहा है। जबकि यह अस्पताल की प्रशासनिक व्यवस्था है आकस्मिक स्थितियों में इस व्यवस्था को शिथिल करते हुए तत्काल पर्ची बनाने का काम हर काउंटर पर किया जाना चाहिए। काम की आकस्मिकता और गंभीरता का भी इसके तहत भान होना आवश्यक है। उच्चतम न्यायालय की गाईड लाईन के तहत पहले उपचार किया जाना आवश्यक है शेष प्रक्रिया बाद में । मरीज हो रहे परेशान-पूरा जिला अस्पताल चरक भवन में आ जाने एवं जिले सहित संभाग का भार इस पर होने की स्थिति में यहां आने वाले मरीजों की संख्या में इजाफा होना तय है। यहां अधिकांश ग्रामीण इलाज के लिए आते हैं उन्हें किस खिडकी पर कौन सी पर्ची बनेगी इसका भान नहीं होता है। ऐसे में अधिकांश ग्रामीण इधर से उधर और उधर से इधर टाले खाते रहते हैं और कर्मचारी उन्हें इधर से उधर करते रहते हैं। इसी के तहत महिला एवं ग्रामीणजन परेशान हो रहे हैं।