उज्जैन। विदेशी चायनीज लहसून को लेकर किसानों की भृकुटि तनी हुई है। भारतीय किसान संघ ने एक हजार कार्यकर्ताओं की इसके खिलाफ टोली बनाई है। लहसून,नेपाल,बंगाल और अफगानिस्तान से भारत आ रहा है इसे क्षेत्र में किसान रोक रहे हैं। मंडी और प्रशासन के पास इसे लेकर किसी प्रकार का आदेश न होने से धर्मसंकट की स्थिति बन रही है। हाल ही में जावरा में दो ट्रक लहसून के मामले में यही हाल हो रहे हैं।देशी लहसून की वर्तमान दर 300 से 400 रूपए प्रति किलो की अपेक्षा विदेशी चायनीज लहसून बाजार में 150 रूपए किलो के दाम में बिकने के लिए आ गया है। इससे देशी लहसून को तगडा झटका लग रहा है। इस विदेशी लहसून का किसान जमकर विरोध कर रहे हैं। विरोध के लिए हर स्तर पर किसान एकजुट हो रहे हैं और विदेशी लहसून की गाडियों को पकडवाया जा रहा है। हाल ही में जावरा में किसानों के प्रदर्शन के चलते दो गाडी लहसून पकडी गई थी जिसे पहले थाने में खडा करवा दिया गया और बाद में मंडी प्रशासन की स्थानीय मंडी को इसकी सुपुर्दगी दे दी गई।किसान संघ उतरा विरोध में मैदान में-भारतीय किसान संघ के प्रांतीय अध्यक्ष कमलसिंह आंजना के अनुसार विदेशी लहसुन गैरकानूनी रूप से लाया जा रहा है। इसे नेपाल एवं बंगाल की सीमा से पार कर लाया जा रहा है। इस लहसून के आने से देशी लहसून और यहां के किसान को बडी आर्थिक मार सहना पडेगी। इसके विरोध के लिए हमने संघ के एक हजार कार्यकर्ताओं की टोली बनाई है जो पूरे प्रदेश के बाजार पर नजर रख रही है। इसके साथ ही इसे लेकर ज्ञापन एवं विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। अपने लाभ के लिए कुछ व्यापारी इसे लेकर मार्केट बना रहे हैं जिससे यहां के किसानों को भारी आर्थिक नुकसान होगा,इसके साथ ही यहां के व्यापारी भी इसका विरोध कर रहे हैं। अभी हमारी लहसून आने में एक माह का समय है,पत्ते वाली कच्ची लहसून ही 100 रूपए किलो बिक रही है ऐसे में विदेशी लहसून आने पर किसानों को भारी आर्थिक मार पडेगी। मंडी प्रशासन इस मामले में सक्रिय होकर काम नहीं कर रहा है जिससे माल की आवाजाही बन रही है। किसानों के हित में इसे रोका जाना चाहिए । प्रशासन की सुस्ती भी बनी हुई है।सूना है पर कोई आदेश न होने से हमारी मजबूरी-इस मामले में मंडी बोर्ड के संयुक्त संचालक उज्जैन चंद्रशेखर वशिष्ठ का कहना है कि विदेशी चायनीज लहसून स्वादहीन,गुणवत्ताहीन है बस दिेखने में सफेद है। इसकी कली बडी है। इसका भाव देशी लहसून की अपेक्षा आधे से भी कम की जानकारी सामने आ रही है। यह लहसून बाजार में 150 रूपए किलो मिलने की बात सूनी जा रही है। विदेशी चायनीज लहसून को लेकर यह सूना है कि 2014-15 में केंद्र ने कोई आदेश निकाला था जिसमें इसे अस्वास्थ्यकर बताते हुए रोक लगाने की बात कही जा रही है। इस तरह का कोई आदेश हमारे पास लिखित में नहीं है। न ही किसी ने हमें आदेश उपलब्ध करवाया है। हमारे पास आदेश एवं कानून का अभाव होने के चलते हम इस पर कार्रवाई करने को लेकर मजबूरी की स्थिति में है। जावरा में पकडी गई गाडी यहां से पास हो रही थी अगर वह यहां आती और खरीदी बिक्री का मसला भी होता तो हम मंडी टैक्स का मामला बनाते अभी तो दोनों गाडी मंडी प्रशासन ने खडी करवा रखी है लेकिन उसके व्यापारी का कहना है कि किस मामले में गाडी खडी करवाई है तो उसे भी जवाब देना है। हमारे पास ऐसे माल को लेकर कोई कानून नहीं है।बाजार में धीरे-धीरे घुसपैठ जारी-इधर देशी लहसून के आने में अभी एक माह का समय शेष है ऐसे में बार्डर पार कर लाया जा रहा विदेशी चायनीज लहसून देशी लहसून एवं किसानों के लिए हानिकारक हो रहा है। स्थानीय बाजारों में धीरे-धीरे यह माल आना शुरू हो गया है और इसके विक्रय की शुरूआत भी होने की जानकारी सामने आ रही है । इसके आयात की स्थिति बढने पर यह देशी लहसून के उत्पादन एवं उसके आर्थिक पक्ष को बुरी तरह से प्रभावित करेगा। इसके उत्पादक किसान भी आर्थिक हानि के चलते अगले साल इसके उत्पादन नहीं करेंगे। ऐसे में विदेशी चायनीज लहसून के व्यापारी इसके दामों को बढाकर बढा लाभ कमाएंगे।