हिंदू तीर्थ स्थलों पर सिर्फ हिंदू समाज का व्यापार हो -मालवा प्रांत के ‘शक्ति संगम’ में साध्वी ऋतंभरा का बड़ा बयान

उज्जैन। यहां सामाजिक न्याय परिसर में आयोजित विश्व हिंदू परिषद मातृशक्ति और दुर्गा वाहिनी के ‘शक्ति संगम’ कार्यक्रम में साध्वी ऋतंभरा ने हिंदू धर्म स्थलों की पवित्रता और सुरक्षा पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमारे तीर्थ और आराधना स्थलों पर केवल हिंदू समाज का व्यापार होना चाहिए। विधर्मियों को इन स्थलों पर व्यापार करने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए।साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि यदि आप हज करने जाएं और मुसलमान न हों, तो वहां प्रवेश की अनुमति नहीं मिलेगी। फिर हमारे धार्मिक स्थलों पर यह छूट क्यों दी जाती है ? यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कई लोग छद्म नाम से हमारे तीर्थ स्थलों पर व्यापार कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि देव आराधना में खान-पान की पवित्रता सबसे महत्वपूर्ण होती है। यदि यह जिम्मेदारी विधर्मियों के हाथ में होगी, तो उसकी पवित्रता की गारंटी कौन देगा ? मालवा प्रांत के शक्ति संगम में लगभग 25 हजार मातृशक्ति और दुर्गा वाहिनी की सदस्याएं शामिल हुईं। कार्यक्रम महाकालेश्वर मंदिर के निशुल्क अन्नक्षेत्र में आयोजित हुआ। यहां से शौर्य यात्रा निकाली गई, जो महाकाल लोक, गुदरी, पटनी बाजार, गोपाल मंदिर, छत्री चौक, सराफा, कण्ठाल चौराहा और कोयला फाटक से होते हुए सामाजिक न्याय परिसर तक पहुंची।साध्वी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर सहमति जताते हुए कहा कि हमें अपनी प्राचीन परंपराओं को कानून के माध्यम से संरक्षित करने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि अतीत में हिंदू मंदिरों के ध्वस्त होने और हिंदू समाज पर हुए अत्याचारों को ध्यान में रखते हुए यह प्रयास किया जाना चाहिए कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।साध्वी ऋतंभरा ने महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि “स्त्री अबला नहीं है। वह स्वयं सिद्ध और सक्षम है। आज दुर्गा वाहिनी और मातृशक्ति के संगम से यह स्पष्ट हो गया है कि महिलाएं संगठित होकर अन्याय का सामना करने में सक्षम हैं।” उन्होंने कहा कि घर-घर में संस्कारों का वातावरण बनाना जरूरी है। संस्कारों के माध्यम से ही समाज को सशक्त किया जा सकता है।बांग्लादेश में हिंदू महिलाओं अत्याचार पर चिंता-साध्वी ऋतंभरा ने बांग्लादेश में हिंदू महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचारों पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं को देखकर लगता है कि स्त्रियों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनना बेहद जरूरी है।साध्वी ऋतंभरा का संदेश-कार्यक्रम के अंत में साध्वी ने कहा कि “भारत की भूमि सनातनी परंपरा की भूमि है। इसकी पवित्रता को बनाए रखना हमारा कर्तव्य है। हम किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं। देश और धर्म की रक्षा के लिए संगठित प्रयास जरूरी हैं।”

Author: Dainik Awantika