अब स्कूल-कॉलेज बस एक्सीडेंट हुआ तो प्रबंधन पर होगी कार्रवाई
स्कूल-कॉलेज के बस ड्राइवरों के मोतियाबिंद की 10 दिन में जांच कराना जरूरी, बस में जांचेंगे जीपीएस व सीसीटीवी
इंदौर। सुपर कॉरिडोर पर मंगलवार को किड्स कॉलेज के बस चालक ने एक्टिवा चालक लक्ष्मण साहू व उनकी बेटी काजल व बेटे विपिन की कुचलने से हुई मौत के मामले में कलेक्टर मनीष सिंह सख्ती बरती है। उन्होंने एडीएम पवन जैन को मामले की जांच के आदेश दिए हैं। इसके तहत अगर पहले तय की गई गाइड लाइन के तहत लापरवाही पाई गई तो कॉलेज संचालकों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
इस दर्दनाक हादसे के बाद एक बार डीपीएस बस दुर्घटना के बाद बनी गाइन लाइन पर सवाल खड़े हो गए हैं। इसे लेकर कलेक्टर ने दो दिन में सभी स्कूलों व कॉलेज के संचालकों की एक बैठक बुलाई है। इसमें मुख्य मुद्दा बसों के संचालित होने की गाइड लाइन का है कि स्कूल व कॉलेज प्रबंधन द्वारा इसका पालन किया जा रहा है या नहीं, जो नए बस ड्राइवर रखे गए हैं उनका वैरीफिकेशन हुआ या नहीं, इनके लाइसेंस, अनुभव, बस में जीपीएस, सीसीटीवी कैमरे, स्पीड, क्षमता आदि को लेकर भौतिक सत्यापन भी किया जाएगा।
दुर्घटनाओं को रोकने के उपाय
कलेक्टर ने आईडीए सीईओ विवेक श्रोत्रिय को घटनास्थल पर सुरक्षा को लेकर स्पीड ब्रेकर सहित अन्य आवश्यक बिंदुओं पर तत्काल सुधार करने को कहा है। दरअसल, सुपर कॉरिडोर के अंतिम छोर में जहां दुर्घटना हुई वहां कई कर्व हैं जिससे वहां दुर्घटनाएं होती हैं। इसे लेकर दोनों ओर स्पीड ब्रेकर बनवाने को कहा गया है।
इन बिंदुओं पर होगी जांच
– क्या बस में स्पीड गर्वनर लगा था? यदि लगाया था तो वह चालू हालात में था या कनेक्विटी अलग कर दी गई थी।
– बसों में सवार बच्चों व घायलों के बयान।
– कॉलेज प्रबंधन से बस व ड्राइवर से संबंधित सभी जरूरी दस्तावेजों का अध्ययन।
– कॉलेज संचालकों व बसों के संचालन संबंधित इंचार्ज के बयान।
– आरटीओ से भी जानकारी।
10 दिन में सभी ड्राइवरों के मोतियाबिंद की कराएं जांच
दुर्घटना को लेकर कुछेक छात्रों का कहना है कि ड्राइवर तेज रफ्तार से बस चला रहा था, यह जांच में महत्वपूर्ण बिंदु है। यह बात भी सामने आई है कि स्कूलों व कॉलेजों की बसों के कई ड्राइवरों को मोतियाबिंद है। हाल ही में मंदसौर में 750 ड्राइवरों का मोतियाबिंद की जांच की गई जिसमें 335 की आंखों में मोतियाबिंद पाया गया। बहरहाल, कलेक्टर ने इस मामले में स्कूलों-कॉलेजों के संचालकों को निर्देश दिए हैं कि वे 10 दिनों में अपने यहां के ड्राइवरों के मोतियाबिंद की जांच करवाकर रिपोर्ट तैयार करें।