इंदौर। शहर में सोमवार को 60वां ग्रीन कॉरिडोर बना। मनोरमागंज निवासी 68 वर्षीय सुरेंद्र पोरवाल (जैन) का लिवर, किडनियां, आंखें और त्वचा के साथ दोनों हाथ भी दान किए गए। निजी अस्पताल में इलाज के दौरान डॉक्टरों की टीम द्वारा उन्हें ब्रेन डेड घोषित करने के बाद खुद परिवार अंगदान के लिए आगे आया। उन्होंने कहा कि अंगदान से अगर किसी का जीवन बचा सकते हैं तो इससे बड़ी सेवा और क्या हो सकती है। उनके दोनों हाथ ट्रांसप्लांट के लिए मुंबई भेजे गए। शाम 6.25 बजे तीन ग्रीन कॉरिडोर बने। हाथ और लिवर 12 मिनट में एयरपोर्ट भिजवाए गए। यहां से वे चार्टर्ड प्लेन से मुंबई भेजे गए। किडनी के लिए शैल्बी हॉस्पिटल से चोइथराम और अपोलो अस्पताल तक ग्रीन कॉरिडोर बना। 10 मिनट में दोनों अस्पताल तक अंग जरूरतमंद मरीज तक पहुंचाए।
इंदौर ऑर्गन डोनेशन सोसायटी के फाउंडर सेक्रेटरी और पूर्व डीन डॉ. संजय दीक्षित ने बताया, दोनों हाथ मुंबई के ग्लोबल हॉस्पिटल में 26 वर्षीय युवक को ट्रांसप्लांट किए जाएंगे। वहीं पर मुंबई के जूपिटर विशेष हॉस्पिटल में 67 वर्षीय मरीज को लिवर ट्रांसप्लांट किया जाएगा। एक किडनी चोइथराम हॉस्पिटल में 54 वर्षीय महिला और दूसरी किडनी राजश्री अपोलो हॉस्पिटल में 57 वर्षीय महिला को ट्रांसप्लांट की गई। उनके नेत्र एमके इंटरनेशनल आई बैंक और त्वचा चोइथराम स्किन बैंक को दी गई।
टाइल्स कारोबारी सुरेंद्र पोरवाल कुछ दिन पहले पेट संबंधी बीमारी के कारण शैल्बी हॉस्पिटल में भर्ती हुए थे। सर्जरी के कुछ दिनों बाद वे कोमा में चले गए। रविवार को डॉ. अचल अग्रवाल ने ब्रेन डेड होने की आशंका जताई। उनकी प|ी नूतन, बेटे धवल व नकुल ने अंगदान की इच्छा जताई। अंगदान अधिनियम के तहत चार डॉक्टरों की टीम ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित किया। मुस्कान ग्रुप के जीतू बगानी और संदीपन आर्य ने मामले में परिवार, डॉक्टरों की टीम के साथ ही एमजीएम मेडिकल कॉलेज की टीम को सूचना दी।
लंग्स ट्रांसप्लांट की भी तैयारी थी। इसे दिल्ली के मरीज के लिए भेजा जा रहा था पर मरीज को बुखार होने से वहां आवंटन नहीं हुआ। इसके बाद अहमदाबाद बात की गई लेकिन वहां भी तकनीकी समस्या आई। फिर मुंबई भी संपर्क किया गया। हालांकि लंग्स का ट्रांसप्लांट नहीं हो सका। परिवार ने बताया कि पिछले साल ही उनकी रिश्तेदार के ब्रेन डेड होने पर अंगदान हुआ था। उन्हीं से प्रेरणा मिली।