उज्जैन। शहर में स्वच्छता का पालन कितना और किस प्रकार होता है। इस हकीकत की जानकारी शनिवार को रामघाट पर देखने को मिली। रामघाट पर शिप्रा नदी के किनारे दीवारें पान, गुटखा और पान मसाले की पीक से लाल दिखाई दे रही थी। यहां दीवार पर देवी देवताओं की मूर्तियों के आसपास भी पान तंबाकू थूकने से गंदगी फैल रही थी। प्रधानमंत्री बार-बार सभी देशवासियों से अपने आसपास स्वच्छता बनाए रखने का आह्वान करते हैं, इसके बावजूद अधिकारियों और कर्मचारियों को शिप्रा नदी के घाट की दीवारों व मंदिरों के आसपास फैली गंदगी नहीं दिखाई दे रही है। जिससे यहां आ रहे हैं लोगों की आस्था भी आहत हो रही है। प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग शिप्रा नदी के घाटों पर नदी का नजारा देखने व स्नान करने पहुंचते हैं। लेकिन यहां पहुंचने वाले नागरिक इस स्थिति के लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं। वे पान, गुटखा और पान मसाला खाकर आते हैं और शिप्रा नदी के घाटों पर किसी भी स्थान पर थूक देते हैं। जबकि घाटों पर जगह-जगह कूड़ेदान उपलब्ध कराए गए हैं। घाट पर मौजूद पंडे पुजारी बताते हैं कि लंबे समय से रामघाट की दीवारों गंदी है। खास बात यह है कि लोगों में जागरूकता के अभाव के कारण यहां की स्वच्छता अछूती है। गुटखे और पान की पीक से दीवारों और फर्श के कोने लाल हो रहे हैं यहां तक की रामघाट की दीवारों पर बने देवी देवताओं के मंदिरों को भी गंदा करने से लोग बाज नहीं आ रहे हैं गुटखा खाकर आने वाले लोग जब रामघाट पर घूमने आते हैं तो थूक कर दीवार गंदा करने से पीछे नहीं है। गुटखा और तंबाकू खाने वालों के कारण सबसे ज्यादा खराब स्थिति रामघाट की दीवारों व मंदिर के आसपास की दीवारों की है लोग यहां बैठने के लिए लगाई गई कुर्सियों के पास भी थूक देते हैं। गुटखे के लाल निशान लोगों में जागरूकता के अभाव को बयां कर रहे हैं।