महाकाल मंदिर की आय घटी तो दर्शन घोटाला सामने आ गया – कलेक्टर ने नजर रखना शुरू की और नंदीहॉल में पंडे पकड़ा गए – फिर लाइन से एक-एक कर कर्मचारी और सुरक्षा गार्ड धराते गए

 दैनिक अवंतिका उज्जैन। 
उज्जैन के ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में यदि समिति की सालाना आय नहीं घटती तो शायद महाकाल दर्शन को लेकर चल रहा बड़ा घोटाला कभी सामने नहीं आता लेकिन मंदिर में कर्मचारी के रूप में काम कर रहे चोरों के लिए यह भारी पड़ गई। जब समिति की आय कम हुई तो अध्यक्ष एवं कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने मंदिर के अफसरों से जवाब तलब किया लेकिन कोई भी संतुष्ट जनक जवाब नहीं दे सका तब उन्हें शंका हुई कि कही न कही गड़बड़ी चल रही है पर सामने नहीं दिख रही है।
इसके बाद से ही कलेक्टर सिंह लगातार मंदिर आने लगे और समिति के कामकाज से लेकर दर्शन आदि व्यवस्थाओं पर नजर रखने लगे। इसी नजर ने कमाल दिखाया और एक दिन दर्शन के दौरान ही खुद कलेक्टर ने नंदीहॉल में मौजूद श्रद्धालुओं से एक समूह से पूछ लिया कि आप किस प्रोटोकॉल से आए है बस फिर क्या था उन्होंने इशारा किया कि हमें तो वो पंडित जी 1100-1100 की दक्षिणा लेकर अंदर तक लाए है। यह सुन कलेक्टर भी आश्चर्य चकित हो गए। उन्होंने तुरंत एडीएम अनुकूल जैन को ही मौके पर बुलाया और गड़बड़ी करने वाले पुरोहित प्रतिनिधि राजेश भट्‌ट को पकड़कर महाकाल थाने के सुपुर्द किया। भट्‌ट ने पूछताछ में पुलिस को एक और पुरोहित पप्पू शर्मा का नाम भी बता दिया जो दक्षिणा लेने में शामिल थे। बस फिर क्या था प्रशासन व पुलिस की नजर और तेज हो गई। पहले कर्मचारी विनोद चौकसे, राकेश श्रीवास्तव पकड़ाए फिर इन्होंने पूछताछ में अपने साथी के रूप में राजेंद्र सिसोदिया, राजकुमार सिंह, रितेश शर्मा, उमेश पंड्या, आशीष शर्मा अभिषेक भार्गव जैसे और भी नाम बताए। इनके साथ निजी एजेंसी के दो-चार सुरक्षा गार्ड भी धराए। पुलिस ने सब के रिमांड लिए और कोर्ट में पेश किया जहां से सब जेल चले गए है।   
कलेक्टर बोले – दर्शन के नाम पर 
रुपए लेने की शिकायतें आ रही थी  उज्जैन कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने इस पूरे मामले में मीडिया से यहीं कहा है कि उनके पास मंदिर में रुपए लेकर वीआईपी दर्शन कराने की शिकायतें लगातार आ रही थीं। लेकिन स्पष्ट रूप से कुछ समझ नहीं आ रहा था कि कौन कहां कैसे खेल कर रहा है। जब बारिकि से जांच-पड़ताल की गई तो इसकी लाइन मिली और चेकिंग के दौरान नंदीहॉल में पहले दो पंडों को पकड़ा फिर कर्मचारी, सुरक्षा गार्ड हाथ आए। हमने जब दिसंबर में मंदिर समिति की आय पता कि आंकड़े श्रद्धालुओं की संख्या के मान से बहुत कम थे। ऐसे में यह समझ नहीं आ रहा था कि जब करोड़ों श्रद्धालुओं ने दर्शन किए तो आय कम कैसे हो सकती है। क्योंकि मंदिर में कोई भी श्रद्धालु हो वह अपनी श्रद्धालु के अनुसार दान जरूर करता है। यहीं से कर्मचारियों के कामकाजों पर शंका होने लगी और नजर रखी तो ये पकड़ा गए। अभी 25 से 30 प्रतिशत ही जांच पूरी, आरोपियों भी और बढ़ेंगे कलेक्टर सिंह ने मीडिया से चर्चा में यह भी संकते दिए है कि अभी रुपए लेने की जांच 25 से 30 प्रतिशत तक ही पूरी हो सकी है। जांच चल रही है तथा आरोपियों की संख्या भी और बढ़ सकती है। पूछताछ में पकड़ाए कर्मचारियों ने अन्य के नाम भी बताए है जिनके बारे में पता लगाया जा रहा है। जैसे ही कुछ प्रमाण हाथ लगते हैं उन्हें पकड़ेंगे। पुलिस अपने स्तर पर जांच कर रही है। महाकाल मंदिर में अब स्थाई व बड़ेप्रशासक की जरूरत महसूस हो रहीमहाकाल मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या अब दिनों दिन बढ़ रही है। जिसके चलते मंदिर की व्यवस्थाएं भी विस्तारित हो चुकी है। ऐसे में अब मंदिर में स्थाई रूप से बड़े पद वाले प्रशासक की आवश्यकता महसूस की जा रही है। अभी तक मंदिर में डिप्टी कलेक्टर, अपर कलेक्टर रेंज वाले अफसर ही प्रशासक का काम देखते आए है। वहीं सालों पहले तो किसी रिटायर्ड अधिकारी को ही प्रशासक बना दिया जाता था। जानकारों का कहना है कि महाकाल मंदिर में अब किसी आईएएस प्रशासक को भेजना चाहिए ताकि वे अपने पॉवर का उपयोग कर व्यवस्थाओं में सख्ती ला सके। 

Author: Dainik Awantika