शेयर मार्केट में निवेश का झांसा देकर करते थे धोखाधड़ी क्राइम ब्रांच की पुलिस टीम के साथ 4 एडवाइजरी आॅफिसों पर दबिश

उज्जैन। फर्जी तरीके से बिना रजिस्ट्रेशन संचालित होने वाले 4 एडवाजरी सेंटरों पर बुधवार को क्राइम ब्रांच और पुलिस की टीम ने दबिश मारी। धोखाधड़ी का बड़ा खुलासा हुआ है। एडवाइजरी सेंटरों से लोगों को कॉल करने के बाद डीमेट अकाउंट खुलाया जाता था और शेयर मार्केट में निवेश के नाम पर राशि जमा कराई जाती थी। जिसमें नुकसान होने का हवाला देकर राशि को हड़प लिया जाता था।
एसपी प्रदीप शर्मा ने बताया कि शहर में फर्जी एडवाइजरी आॅफिस संचालित होने की शिकायते मिल रही थी। जिसको लेकर एक साथ बड़ी कार्रवाई का निर्णय लिया गया और क्राइम ब्रांच एएसपी योगेशसिंह तोमर के नेतृत्व में पुलिस की चार अलग-अलग टीम बनाई गई। सभी ने एक साथ तीनबत्ती चौराहा स्थित होटल कुबेर के ऊपर संचालित रिसर्च मार्ट लिमिटेड, स्टॉक रिसर्च एंड बुलिश इंडिया, एके बिल्डिंग चौराहा पर मननी मैग्नेट रिसर्च लिमिटेड, विशाल मेगा मार्ट की तीसरी मंजिल पर चॉइस ब्रोकिंग फर्म और शंकु मार्ग फ्रीगज में एंजेल वन लिमिटेड एडवाइजरी के आॅफिसों पर दबिश दी गई। टीम ने चारों स्थानों से आफिसों में काम करने वाले 130 युवक-युवतियों को पूछताछ के लिये हिरासत में लिया। वहीं दो एडवाइजरी सेंटरों के संचालक अजय पंवार और शशि मालवीय को गिरफ्तार किया। बड़ी संख्या में मोबाइल फोन के साथ कम्प्यूटर, लेपटॉप के साथ निवेशको से जुड़े दस्तावेज और फर्जी दस्तावेज बरामद किये। 2 आॅफिसों के तीन संचालक चंदन भदौरिया, दीपक मालवीय और विनय राठौर पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ सके है। जिनकी तलाश जारी है। एसपी का कहना था कि एडवाइजरी आॅफिसों में संगठित गिरोह के रूप में काम किया जा रहा था। जिसकी जांच शुरू की गई है। चारों एडवाजरी आॅफिस भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड (सेबी) में पंजीकृत होना नहीं पाये गये है।
कॉलिंग के बाद खुलवाते थे डी मेट अकाउंट
बताया जा रहा है कि एडवाइजरी आॅफिसों में पहले मोबाइल नम्बरों का डाटा  कंपनियों से खरीदा जाता है। उसके बाद काम करने वाले युवक-युवतियों से कॉलिंग कराई जाती है और शेयर मार्केट में निवेश करने पर भारी मुनाफे का झांसा दिया जाता है। उसके बाद डीमेट अकाउंट खुलवा लिया जाता है। जिसकी पूरी जानकारी जैसे संपर्क विवरण और वित्तीय स्थिति का डाटा प्राप्त कर लिया जाता है। निवेशक शेयर बाजार में पैसा लगाता है तो उसे घाटा होना बताकर पूरी राशि हड़प ली जाती है। वहीं लाभ होने पर इनके द्वारा 30 से 40 प्रतिशत कमीशन गुपचुप तरीके से काट लिया जाता है, जिसकी जानकारी निवेशको को नहीं दी जाती है। पुलिस दबिश के बाद प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि एडवाइजरी कंपनियां निवेशको का विश्वास जीतने के लिये संगठित जाल बिछाती थी।
दूसरे प्रदेशों के लोगों को देते थे झांसा
एडवाइजरी कंपनियों का शातिर तरीके से काम करना सामने आया है। यह लोग जहां अपना आॅफिस खोलते है, उस जिले के आसपास रहने वाले लोगों को कॉल नहंी करते है। अन्य प्रदेशों और दूसरे जिले के लोगों को अपने जाल में फंसाते है, ताकि अगर उनकी धोखाधड़ी का मामला उजागर हो और पुलिस तक मामला पहुंचे तो वह अपना आॅफिस बंद कर दूसरे स्थानों पर चले जाये। एसपी प्रदीप शर्मा ने बताया कि जिन चार एडवाइजरी आॅफिसों पर कार्रवाई की गई है। उनके अन्य ठिकानों का पता लगाने का प्रयास भी किया जा रहा है।

Author: Dainik Awantika