खुसूर –फुसूर
शहर में दुर्घटनाओं का ग्राफ बढा
शहर में यातायात को नियंत्रण करने के लिए जब से कर्मचारी नदारद हुए हैं तब से दुर्घटनाओं का ग्राफ एक दम से बढ गया है। आए दिन बडे वाहन छोटे वाहनों को रौंद रहे हैं और उनमें लोग कालकवलित हो रहे हैं। रविवार को राह चलते एक बच्चे को डंपर चालक ने रौंद दिया और सोमवार को एक दो पहिया वाहन सवार को। दुर्घटनाओं की स्थिति यह है कि ऐसा कोई दिन नहीं जा रहा है जब दुर्घटना के हालात नहीं हों । बराबर असावधानी से बडे वाहनों को चलाने के कारण दुर्घटनाओं का ग्राफ बढते ही जा रहा है। दुर्घटनाओं को रोकने वाले कर्मचारी पिछले कई दिनों से सडकों एवं प्रमुख चौराहों से नदारद हैं। इनके उपर अनुभाग स्तर के दो अधिकारी बैठाए गए हैं। अमला कम होने की वजह से मंदिर एवं पुराने शहर में ही पूरा अमला खप जाता हे उसके साथ ही वीआईपी आगमन में भी अमले को लगाया जाता है। ऐसे में शहर सिर्फ लाल ,हरे ,पीले सिग्नलों के भरोसे रह जाता है। कैमरों के जोर पर वाहन चालक नियमों पालन नहीं करते हैं। उद्दंडता एवं लापरवाही से वाहन चालन अमूमन हर चौराहे पर देखा जा सकता है। खुसूर-फुसूर है कि अधिकांश दुर्घटनाएं वाहन चालकों की लापरवाही से ही हुई सामने आ रही है। यह हमारा दुर्भाग्य है कि पडे लिखे होने के बावजूद अत्याधुनिक व्यवस्था एवं नियमों के पालन को हम दरकिनार करते हैं। हमें पुरातन चौराहे पर एक व्यक्ति निर्देशित कर चलाए वहीं अच्छा लगता है।