मकर संक्रांति पर शिप्रा के घाटों पर उमड़ी भीड़, महाकाल को लगा तिल-गुड़ का भोग

उज्जैन। मकर संक्रांति पर्व पर शिप्रा नदी में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे । यहां सुबह 6 बजे से ही भक्तों का घाट पर आना शुरू हो गया। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने दान-पुण्य किया और भगवान महाकाल का आशीर्वाद भी ले रहे हैं। कड़ाके की ठंड होने के बाद भी आस्था की डुबकी लगाने देश भर से श्रद्धालु शिप्रा नदी के रामघाट पर पहुंच रहे हैं। मकर संक्रांति पर बाबा महाकाल को तिल के उबटन से स्नान कराने के बाद तिल से बने पकवानों का भोग अर्पित किया गया। पं. अमर डिब्बेवाला ने बताया कि संक्रांति का पर्व पर सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर होता है। मकर संक्रांति के पर्व काल पर सामान्यतः चावल, हरी मूंग की दाल की खिचड़ी का दान, पात्र का दान, वस्त्रों का दान, भोजन का दान आदि वस्तुओं का दान अलग-अलग ढंग से करने की परंपरा भी है। मान्यता है कि विशेष तौर पर तांबे के कलश में काले तिल भरकर ऊपर सोने का दाना रखकर दान करने से पितरों की कृपा भी मिलती है। वहीं पितरों के निमित तर्पण करने से, गाय को घास खिलाने से और भिक्षु को भोजन दान करने से मानसिक शांति और काम में गति बढ़ती है। महाकाल मंदिर के पंडित महेश पुजारी ने बताया कि, मकर संक्रांति पर भगवान महाकाल को तिल के तेल से स्नान कराने और तिल्ली के पकवानों का भोग लगाया गया। इस दिन भगवान को गुड़ और शकर से बने तिल्ली के लड्डुओं का भोग लगाकर जलाधारी में भी तिल्ली अर्पित की।

Author: Dainik Awantika