जिले में मान्यता के आधे मामले अटके,78 नवीन एवं 826 नवीनीकरण के मामले थे, अंतिम दौर में समिति के लाभ – शुभ में उलझी स्कूली मान्यता

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 विकासखंड स्त्रोत समन्वय के समक्ष 868 ने किए थे बीआरसी के समक्ष आवेदन

 उज्जैन। जिले में एक अप्रेल से पहले स्कूलों की मान्यता का काम निपटाया जाना है। इसके लिए आवेदन हुए ओर प्रक्रिया शुरू हो गई। सरकार की नई नीति के तहत यह मान्यता दी जाना है। जिले में  निर्धारित समय में विकासखंड स्त्रोत समन्वयकों के समक्ष आनलाईन 868 आवेदन हुए थे। एक अप्रेल के पूर्व इनकी मान्यता को लेकर निर्णय होना है। हाल यह होने लगे हैं कि आधे से अधिक स्कूलों की मान्यता समिति के लाभ-शुभ के फेर में उलझी हुई है।

स्कूलों की मान्यता के लिए नए नियमों को लेकर अशासकीय स्कूलों ने विरोध व्यक्त किया था। नियत तिथि तक आवेदन के तहत स्कूल शिक्षा विभाग के समक्ष 868 आवेदन मान्यता के लिए किए गए हैं। प्रारंभिक रूप से डीपीसी स्तर पर 218 आवेदन पहुंचे थे।इनमें से कमी वाले स्कूलों को तीन दिन का नोटिस देते हुए कमी पूरी करवाई गई और प्रारंभिक स्थिति में 150 के करीब स्कूलोंको मान्यता नवीनीकरण किया गया था। नवीन आवेदनकर्ताओं से ही नियमों का पूरा पालन करवाने की स्थिति बनी हुई है। 5 के आवेदन निरस्त किए गए थे। इस तरह से मान्यता के मामले में बीआरसी से पुष्टि के तहत आनलाईन आने वाले आवेदनों का क्रम चला था। एक पखवाडे पूर्व सभी आवेदन जिला समिति स्तर पर आ गए थे। इसमें सामने आ रहा है कि लाभ-शुभ के फेर में कई स्कूलों की मान्यता चक्करघिन्नी हो रही है।

जिले में 78 नवीन मान्यता के एवं 826 मान्यता क नवीनीकरण के प्रकरण थे। इनमें से 868 ने ही आवेदन किए हैं। मान्यता के नए नियमों में आवेदन के साथ स्कूल भवन का पंजीकृत किराया नामा जमा करना है। इसके साथ ही एफडी एवं फीस के नियमों में सर्वाधिक विरोध पंजीकृत किराया नामा को लेकर सामने आया था। इसमें स्कूल संचालकों को खासी राशि लगाना पड रही है। विभागीय सूत्रों के अनुसार 809 स्कूलों से मान्यता के लिए पोर्टल पर बीआरसी को आवेदन फारवर्ड किए गए हैं। बीआरसी स्तर से इनमें से 218 आवेदन पर सत्यापन करते हुए उन्हें अब तक डीपीसी को फारवर्ड किया गया था जिनमें से कुछ स्कूलों के दस्तावेजों में कमी सामने आने पर उन्हें 3 दिन का नोटिस पिरियड देते हुए कमी पूर्ति करवाई गई। मान्यता निरस्ती के पूर्व सभी प्रमुख मुद्दों को प्राथमिकता से पालन करवाया गया है। कागजों की पूर्ति बडे ही तरीके से विकल्पों के साथ की गई है।

प्रारंभिक 218 में से 60-70 को नोटिस-

प्रारंभिक स्तर पर बीआरसी स्तर से आनलाईन डीपीसी को प्रेषित हुए 218 आवेदनों में से 150 की मान्यता नवीनीकरण कर दिया गया था। 60-70 आवेदनों में दस्तावेजों की कमी की स्थिति सामने आने पर उन्हें 3 दिवसीय नोटिस अवधि देते हुए कमी पूर्ति करवाई गई थी। इसके अलावा 5 से अधिक की मान्यता समिति की और से दस्तावेजों के अभाव में अस्वीकृत कर दी गई थी। धीरे-धीरे बीआरसी स्तर से आवेदनों की पुष्टि एवं दस्तावेजों के साथ भौतिक सत्यापन होते गए और आनलाईन आवेदनों को जिला स्तर पर डीपीसी के समक्ष पूरी तरह से भेज दिया गया। डीपीसी स्तर पर आवेदनों के परीक्षण एवं सत्यापन परीक्षण के उपरांत मान्यता की स्वीकृति एवं अस्वीकृति का मामला अंतिम दौर में भी उलझा हुआ है। स्कूलों की मान्यता के सभी आवेदनों का निराकरण 31 मार्च से पूर्व किया जाना है।

आरोप का दौर शुरू-

मान्यता के मामले में जिन स्कूलों के मसले उलझने लगे हैं वहां से लाभ-शुभ के हालातों के तहत मामलों में उलझन की स्थितियों का शुरू होना तय माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि कमियों की पूर्ति के लिए दिए गए समय के दौरान भी कई स्कूल संचालकों ने पूर्ति नहीं की है। ऐसे में खींचतान का दौर शुरू होना तय है।

सूची जारी नहीं की-

जिला शिक्षा विभाग एवं जिला शिक्षा केंद्र की और से मान्यता के अंतिम दौर आने के बावजूद अब तक मान्यता निरस्ती,मान्यता नवीनीकरण एवं शेष स्कूलों को लेकर कोई सूची जारी नहीं की गई है। यहां तक की जिन स्कूलों की मान्यता आवेदन निरस्त कर दिए हैं उनमें से भी कुछ को जानकारी नहीं मिल सकी है । ऐसे में कलेक्टर के समक्ष अपील में जाने के लिए स्कूल संचालकों को समय लगना तय है और इसके तहत बच्चे के भविष्य की स्थिति को लेकर बात खडी हो सकती है। इसके लिए मान्यता को लेकर पृथक –पृथक सूची जारी करने की मांग कुछ विद्यालय संचालक कर रहे हैं।

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