पंचक्रोशी पडाव स्थल पर सावधानी जरूरी, छेड़ने से बज जाती है खतरे की घंटी

ब्रह्मास्त्र पं. राहुल शुक्ल. उज्जैन
अत्यधिक गर्मी में छोटे जीव जन्तु भी परेशान हो उठते हैं। विगत दिनो एक स्पोर्ट्स मीट के दौरान मधुमक्खियो ने कुछ खिलाड़ियों को काट कर गंभीर घायल कर दिया। इस घटना से सबक लेकर जिला प्रशासन को आगामी पंचक्रोशी यात्रा के दौरान सतर्क रहना होगा और आवश्यक बंदोबस्त करना होंगे। पंचक्रोशी पड़ाव स्थल के पास भी कुछ स्थानो पर वृक्षो पर मधुमक्खी के छत्ते होते हैं। यदि यात्रा के दौरान ये छोटा जीव नाराज हो जाए तो स्थिति गंभीर होते देर न लगेगी। अत: समय रहते पड़ाव स्थलो पर छत्ते चिन्हित कर सावधानी के बोर्ड लगाए जाने चाहिए।
ल्ल चिढ़ने पर होती है घातक- मधुमक्खी साधारणत: किसी को परेशान नहीं करती है और परागीकरण की प्रक्रिया में सहायक है किन्तु यदि इनकी छेड़खानी की जाती है तो ये अपनी सुरक्षा को खतरा मानकर आसपास के लोगों को डंक मारती है।
ल्ल डंक मे होता है अम्ल- सबसे खतरनाक भंवरमाल मक्खी होती है। इसके काटने से शरीर मे विषाक्तता की स्थिति हो जाती है। ये डंक मारकर मानव व पशु के शरीर में फोरमिक एसिड छोड़ती है जिसमे हिस्टामिन, मैलेटिन व एमिनो एसिड होते हैं। जब ये रक्त मे मिल जाते हैं तो शरीर मे जलन व असहनीय दर्द होता है। मक्खी के वैनम मे 50से 60 प्रतिशत मैलेटिन ही होता है। मधुमक्खी का वैनम अम्लीय होता है क्योंकि इसका पी एच मान 4.5 से 5.5 तक होता है। शरीर मे एलर्जिक पेन होता है। 3 से 4 डंक मारने पर स्थिति नियंत्रण मे रहती है पर यदि 10 से ज्यादा मक्खियां डंक मारें तो व्यक्ति मर भी जाता है। कई बार डंक की विषाक्तता तो ज्यादा नही होती पर भय से ही पीडित मर जाता है।
ल्ल आग, धुएं और छत्ते को छूने से नाराज- मधुमक्खी के छत्ते के आसपास आग जलाने पर या धुआं उत्पन्न होने पर ये बहुत नाराज हो जाती हैं। इसके अलावा छत्ते को छूने पर भी ये गुस्सा होकर काटने लगती हैं। नाराज होने पर सैनिक मधुमक्खी 3 किलोमीटर की त्रिज्या में फैल जाती हैं और काटने लगती हैं।
ल्ल प्राकृतिक छत्ते में दो से ढाई लाख मक्खियां- पेड़ या बड़े भवनों पर लगे एक छत्ते मे लगभग दो से ढाई लाख मधुमक्खियां होती हैं। अब हम सहज ही अनुमान लगा सकते हैं कि इतनी अधिक संख्या में मधुमक्खी क्रुद्ध होकर काटने लगें तो हालात कितने गंभीर हो सकते हैं।
सबसे पहले डंक निकालना चाहिए
मधुमक्खी के काटने पर सबसे पहले नाखून या तीखे कार्ड से काटे हुए स्थान से डंक को निकालना चाहिए फिर घाव को साफ पानी या साबुन से धोना चाहिए। तदुपरांत इस पर लोहा घिसकर लगाना चाहिए। घाव को कभी भी रगड़ना नही चाहिए। रगड़ने पर इसका जहर रक्तनालियों में तेजी से फैल जाता है। – गोविन्द माहेश्वरी, संचालक मधुमक्खी पालन केन्द्र, देवगुराडिया।
सूजन वाले स्थान को सेकें
शरीर में सूजन वाली जगह को आइस पैड से सिकाई करें फिर घाव पर मीठा सोडा या टूथ पेस्ट लगा दें। सोडा व टूथपेस्ट दोनो ही क्षारीय होते हैं और ये मधुमक्खी के विष मे उपस्थित अम्लीय पदार्थ के प्रभाव को उदासीन कर देता है।
– अंकिता चौहान , प्राणीशास्त्री