भूतड़ी अमावस्या पर उज्जैन के 52 कुंड व शनिश्वरी पर त्रिवेणी संगम में नहान – दोनों प्रमुख स्थानों पर अल सुबह से हजारों श्रद्धालु उमड़े, पंडितों से पूजन कराकर किया दान-पुण

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 उज्जैन। 

चैत्र की अमावस्या पर उज्जैन में शनिवार को दो प्रमुख जगह नहान हुए। दोनों स्थानों पर हजारों श्रद्धालु उमड़े और दान-पुण्य किया। भूतड़ी अमावस्या पर उज्जैन के कालियादेह महल स्थित 52 कुंड पर श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाकर स्नान किया तो शनिश्चरी अमावस्या पर्व होने पर इंदौररोड फोरलेन स्थित त्रिवेणी संगम पर भी फव्वारों में श्रद्धालुओं ने स्नान कर प्राचीन नवग्रह शनि मंदिर में दर्शन कर पूजन-अर्चन किया। मान्यता अनुसार उज्जैन के 52 कुंड पर लोग चैत्र की अमावस्या पर नहान के लिए आते हैं क्योंकि यहां डुबकी लगाने से कई तरह की बाधाएं दूर हो जाती है। श्रद्धालुओं ने यहां पंडितों से बुरी आत्माओं से मुक्ति के लिए पूजन-पाठ भी कराया। त्रिवेणी संगम पर तो शुक्रवार रात 12 बजे से ही लोग पहुंचने लगे थे। यहां प्रशासन ने स्नान के लिए फव्वारे लगाए थे। श्रद्धालुओं ने स्नान कर नवग्रह शनि मंदि में दर्शन, पूजन कर तेल चढ़ाया। दावा है कि करीब तीन लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए मंदिर पहुंचे हैं।त्रिवेणी घाट पर पुराने कपड़ेजूते-चप्पल छोड़ गए श्रद्धालु शनिश्चरी अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने फव्वारों में स्नान के बाद परंपरा अनुसार घाट पर अपने जूते-चप्पल और पुराने कपड़े दान स्वरूप छोड़ दिए। सुबह से शाम तक यहां कपड़ों व जूते-चप्पलों का बड़ा ढेर लग गया। ऐसा माना जाता है कि शनिश्चर अमावस्या पर दान करने से दरिद्रता दूर होकर कष्टों का निवारण होता है। इसलिए भी लोग यहां अपने से संबंधित सामग्री छोड़ जाते हैं। प्रशासन बाद में इनकी नीलामी करवा देता है।2 हजार से अधिक साल पुराना है उज्जैन का नवग्रह शनि मंदिरउज्जैन के त्रिवेणी पर स्थित प्राचीन नवग्रह शनि मंदिर 2 हजार से अधिक साल पुराना है। इसकी स्थापना राजा विक्रमादित्य ने की थी। देशभर से लोग शनिश्चरी अमावस्या पर त्रिवेणी घाट पर स्नान कर शनि देव के दर्शन के लिए उमड़ते हैं। हमेशा की तरह इस बार भी यहां शनिश्चरी पर लाखों लोग उमड़े व शनि महाराज के दर्शन कर तेल चढ़या व आशीर्वाद लिया।

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