विधायकों की गुटबाजी के कारण अटकी घोषणाएं, इंदौर में महामंत्री विधानसभा 2 बनना तय

 

 

इंदौर। भाजपा की नगर टीम भोपाल के कारण अटक गई है, क्योंकि विधायकों की उलझन के कारण मामला पेंचीदा हो गया है। पहले कोशिश की जा रही है कि मंडल की टीम बनाए जाए और इसी चक्कर में नगर का मामला अटक गया है।
सुमित मिश्रा को नगर अध्यक्ष बने समय हो गया है। ये माना जा रहा था कि भाजपा की टीम का गठन जल्दी ही हो जाएगा और विधायकों से नाम लेना भी शुरू कर दिया था।

तीन महामंत्री बनाए जाना और उपाध्यक्ष के साथ नगर मंत्री, कोषाध्यक्ष का फैसला किया जाएगा, लेकिन जिस तरीके से चार नंबर में उठा पटक चल रही है, उस तरीके से नगर की टीम आसान नहीं दिख रही है, क्योंकि महापौर और मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की जुगलबंदी के चक्कर में चार नंबर की सियासत गड़बड़ हो रही है।
कई बार ऐसा मौका दिखा है जब यहां पर विधायक मालिनी गौड़ को अलग रुख भी अख्तियार करना पड़ा है। बताते हैं कि महामंत्री दो नंबर कोटे से बनना है। तीन नंबर से भी उन्हीं के सहयोगी को लेने की तैयारी है।

दो नंबर से सुधीर कोहले का नाम दोबारा फिट कर दिया जाएगा और पांच नंबर से सविता अखंड को महिला कोटे में लिया जा सकता है। तीन नंबर से दिनेश वर्मा के नाम पर सहमति हो सकती है। ये तीनों ही मंत्री खेमे के हैं, बस इनकी विधानसभा बदली हुई है। इस दांव को लेकर कई तरह की बातें होनी लगी, जिस पर सियासत गरमा रही है।
बाकी विधायकों को उपाध्यक्ष और दूसरे पद दिए जा सकते हैं। सूत्रों की मानें तो नगर टीम के नाम की तैयारी हो चुकी है, लेकिन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने अभी उसे रोक दिया है, क्योंकि अंतिम फैसला वहीं से होना है। प्रदेश अध्यक्ष का निर्णय भी जल्द ही होने वाला है।
इस चक्कर में ये कोशिश की जा रही है कि पहले नगर अध्यक्ष का फैसला हो जाए और उसके
बाद दूसरी टीम की घोषणा की जाए।
हालांकि मंडल की टीम भी तय हो चुकी है। उसका ऐलान भी जल्द ही होना है। सिलसिलेवार टीमों को लेकर बातचीत चल रही है। सूत्रों की बात पर यकीन किया जाए तो इस बार नगर टीम को लेकर महाभारत भाजपा की अयोध्या में हो सकती है।
एकलव्य गौड़ नगर उपाध्यक्ष हैं और उनकी वापसी को लेकर अड़ंगे शुरू हो गए हैं। पार्षद जीतू यादव और कमलेश कालरा के बीच का जो झगड़ा है, उसका भी बदला लेने का सही वक्त आ गया है। ऐसे में एक गुट जो विरोध की राजनीति कर रहा है, वो एक जाजम पर आ सकता है। मालिनी गौड़ के साथ विधायक मनोज पटेल और उषा ठाकुर भी हैं।
मंत्री तुलसी सिलावट भी इसी खेमे में अटके हुए हैं, क्योंकि जिलाध्यक्ष के मामले में उन्हें भी मुंह की खाना पड़ी थी। अब वो चाहते हैं कि हिसाब-किताब बराबर कर लिया जाए। मुख्यमंत्री मोहन यादव भी मंत्री खेमे को पसंद नहीं कर रहे हैं, इसलिए नगर टीम में भी इसका असर दिखाई दे रहा है।

 

आईडीए अध्यक्ष भी राजनीति का शिकार–

नगर टीम के साथ आईडीए अध्यक्ष का फैसला भी इसी चक्कर में अटक गया है और गुटबाजी भी हावी होती दिख रही है। युवा को मौका देने के लिए अलग-अलग नाम सामने आ रहे हैं, जिसमें गौरव रणदिवे और टीनू जैन भी ताकत के साथ लगे हैं, दोनों ही विधानसभा के दावेदार थे, लेकिन ऐनक्त पर उनका टिकट गोल कर दिया गया था।
आपसी खींचतान के चक्कर में आईडीए अध्यक्ष का मामला अटक गया है।

Author: Dainik Awantika

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *