प्रमोशन पॉलिसी पर घमासान, शिवराज के ड्राफ्ट का हवाला देकर कांग्रेस का अड़ंगा

 

 

इंदौर। मध्यप्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति नीति अब सियासी तूफान का रूप ले चुकी है। राज्य अंतिम रूप देने की तैयारी में है, वहीं कांग्रेस ने इस मुद्दे पर खुलकर विरोध जताते हुए आंदोलन का बिगुल बजा दिया है। कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार ने सरकार पर दलित और आदिवासी कर्मचारियों के अधिकारों को दबाने का आरोप लगाया है।
उनका कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में बनाए गए 441 पृष्ठीय ‘गोरकेला ड्राफ्ट’ को जानबूझकर ठंडे बस्ते में डाला गया, जबकि अब सरकार एक नया ड्राफ्ट लाने की तैयारी कर रही है, जो संविधान और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइनों की अनदेखी लड़ाई अब फाइलों में नहीं, सड़कों पर लड़ी जाएगी
है।
प्रमोशन का मामला अब सिर्फ प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा नहीं रह गया है, बल्कि एक राजनैतिक और सामाजिक संघर्ष में तब्दील हो गया है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा मध्यप्रदेश की राजनीति को गरमाने वाला साबित हो सकता है।

-दलित-आदिवासियों को हाशिये पर ढकेलने की साजिश

अगर नया ड्राफ्ट लागू हुआ तो हज़ारों दलित और आदिवासी कर्मचारियों का प्रमोशन रुक जाएगा। ये सीधा-सीधा सामाजिक न्याय पर हमला है। भाजपा और आरएसएस मिलकर हाशिये के समाज को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि यदि यह नीति वापस नहीं ली गई, तो कांग्रेस प्रदेशभर में सड़क से सदन तक उग्र आंदोलन करेगी।

क्या है गोरकेला ड्राफ्ट?

पूर्ववर्ती शिवराज सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुरूप प्रमोशन में आरक्षण से जुड़े मामलों को सुलझाने हेतु गोरकेला ड्राफ्ट तैयार करवाया था।
इसमें आर्थिक, सामाजिक और प्रशासनिक आंकड़ों के आधार पर प्रमोशन में आरक्षण का मॉडल तैयार किया गया था। कांग्रेस का आरोप है कि यह ड्राफ्ट आज तक लागू नहीं किया गया।

– सरकार की रणनीति पर सवाल

हालांकि, सरकार की ओर से अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन सूत्रों की मानें तो नए प्रमोशन ड्राफ्ट पर तेजी से मंथन चल रहा है, जिसमें आरक्षण का मौजूदा प्रारूप बदलने की बात कही जा रही है।

– लड़ाई अब फाइलों में नहीं, सड़कों पर लड़ी जाएगी

केंद्र में राज कर रही भाजपा और आरएसएस दोनों दलितों और आदिवासियों को खत्म करना चाहती है। इसलिए वे सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के बाद भी ऐसे ड्राफ्ट लागू करने के बजाय छुपा देती है।
कांग्रेस प्रमोशन की लड़ाई अब केवल फाइलों में नहीं, सड़कों पर लड़ेगी।

Author: Dainik Awantika

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