उज्जैन। पंजीयन विभाग में संपदा 2.0 साफ्टवेयर आने के बाद से रोज नई बातें ही सामने आ रही है कि ऐसा हो जाएगा और वैसा हो जाएगा। अभी तो पंजीयन में ही रोज पेंच फस रहे हैं । जितने स्लाट बुक होते हैं उतने पंजीयन नहीं हो पाते हैं। वैसे नई बात यह सामने आ रही है कि साफ्टवेयर को और अपडेट किया गया है। अब रजिस्ट्री के लिये गवाह नहीं ले जाना पड़ेंगे। स्लॉट बुक होने से लेकर पंजीयन तक सेवा प्रदाता का अंगूठा उपयोग होने वाला है।
दरअसल पंजीयन विभाग का संपदा-1 सॉफ्टवेयर बंद हो गया है। संपदा-2 सॉफ्टवेयर पर काम किया जा रहा है। पंजीयन विभाग के सभी कार्य इसी सॉफ्टवेयर पर किए जा रहे हैं। क्रेता-विक्रेता को हर स्टेप पर ओटीपी देनी होती है। इससे संपत्ति के विक्रय में फर्जीवाड़े में कमी आएगी। कोई दूसरा व्यक्ति फर्जी तरीके से सपत्ति नहीं बेच पाएगा। क्योंकि, आधार से संबंधित व्यक्ति का सत्यापन होगा। संपदा-2 में ई रजिस्ट्री पक्षकारों को मिल रही है। ई मेल पर रजिस्ट्री की कॉपी भेजी जा रही है। पंजीयन विभाग में फोटो खींचने के बाद उप पंजीयक को सत्यापन करना है। उप पंजीयक के क्लिक के बाद रजिस्ट्री मिल जाती है। अब पक्षकारों को गवाह साथ में नहीं लाने पड़ रहे है। सिर्फ क्रेता विक्रेता कार्यालय में आ रहे है। चेकर के पद भी खत्म हो गए हैं।कई सारे मुद्दों पर नकेल कसने की तैयारी-पंजीयन विभाग में नया सॉफ्टवेयर सपदा-2 में अब और नए फीचर जोड़े जा रहे हैं। इस नए फीचर को जोडने का उद्देश्य गडबड करने वाले सेवा प्रदाताओं पर नकेल कसना है। नए फीचर में रजिस्ट्री के लिए जो स्लॉट बुक होगा, उसके लिए सेवा प्रदाता का अंगूठा लगेगा। उसके बाद ही पूरी प्रक्रिया शुरू हो पाएगी, तब ही रजिस्ट्री होगी। इस फीचर के आने के बाद जो सेवा प्रदाता पत्नी, रिश्तेदार, दोस्त की आईडी पर काम कर रहे थे, उन्हें कार्यालय में बैठना होगा। सेवा प्रदाता पांच से छह आईडी अपने पास रखते थे। यदि फर्जीवाड़े में पकड़े जाए तो दूसरी आईडी पर रजिस्ट्री का काम करते रहते हैं। अधिवक्ता सेवा प्रदाता का काम नहीं कर सकते हैं। लेकिन भाई, पत्नी व बेटे के नाम आईडी आवंटित करा के कार्य कर रहे थे। ओटीपी के आधार पर स्लॉट बुक कर लेते थे।
निरीक्षण का अधिकारी जिला पंजीयक के पास-
पंजीयन विभाग में स्टांप ड्यूटी चोरी के मामले अधिक हैं। क्रेता-विक्रेता को स्टांप ड्यूटी चोरी के तरीके इसमें घूले मिले लोग ही बताते हैं।इसमें अंदर एवं बाहर दोनों और के लोग शामिल होते हैं। स्टांप ड्यूटी चोरी कर शासन को नुकसान पहुंचाया जाता हैं। यदि किसी संपत्ति में स्टांप ड्यूटी चोरी करनी है तो उसके लिए अनेक प्रकार के षडयंत्र खेले जाते हैं। बदली हुई दूसरी आईडी का उपयोग किया जाता है। मामला खुलता है और आईडी निरस्त होती है तो काम बंद नहीं होगा। उप पंजीयक से संपत्ति के निरीक्षण के अधिकार छीन लिए हैं। जिला पंजीयक ही सपत्ति का निरीक्षण कर सकता है, जिले में साल भर में होने वाली रजिस्ट्रीयों की संख्या को देखते हुए स्टांप ड्यूटी की चोरी पकडना बहुत ही कठिन हो गया है ऐसे में शिकायतों से ही ऐसे मामलों को उजागर होने की स्थिति सामने आती है।