खुसूर-फुसूर सिंहस्थ के लिए तब्दीली जरूरी

खुसूर-फुसूर

सिंहस्थ के लिए तब्दीली जरूरी

सिंहस्थ महापर्व 2028 के लिए तैयारी करने का मायना अपने घर 40 करोड श्रद्धालुओं को बुलाना और उनकी व्यवस्था को जुटाने जैसा है। धार्मिक नगरी उज्जैन सनातन काल से सिंहस्थ का आयोजन करती रही है। कालांतर में एक बार तो दत्त अखाडा के तत्कालीन पीर जी ने ही पूरा आयोजन किया था। सिंहस्थ के आयोजन और आने वाले श्रद्धालुओं के लिए तैयारी का क्रम शुरू हो चुका है। प्रशासनिक चुस्त दुरूस्त व्यवस्था के लिए सक्रिय अधिकारियों की सख्त आवश्यकता है। प्रशासनिक स्तर पर यह तब्दीली शुरू हो चुकी है। अभी इस तब्दीली का क्रम जारी रहने वाला है। बहते पानी में जो फिट नहीं बैठेगा वो स्वत: ही अलग होता चला जाएगा। वर्तमान में मेला अधिकारी के साथ जिले के प्रशासनिक मुखिया का चेहरा सामने आया है। इसके अतिरिक्त सिंहस्थ की तैयारी से सीधे जुडे कई विभागों के अधिकारी , निर्माण विभागों के अधिकारियों की तब्दीली भी अब बहुत जरूरी होने लगी है। कामों को धरातल पर उतारने को लेकर विभागों में प्रक्रिया के तहत जो सुस्तीवाडा चल रहा है उसमें भी गति लाना और काम को त्वरित गति से चलाने को लेकर कार्यशैली में तब्दीली किया जाना भी इसके तहत जरूरी हो गया है। नए आए अधिकारियों को अब तक जो जो प्रस्ताव पास किए गए हैं उन्हें धरातल पर जाकर देखना होगा उसके साथ ही प्रस्ताव की पूरी प्रक्रिया की फाईल को भी स्थल पर ही अवलोकन करना होगा। इससे सभी बातें धरातल पर ही स्पष्ट हो जाएंगी उसके साथ ही यह भी तय हो जाएगा कि शेष बचे तीन वर्ष में से 24 माह के दरमियान कितना काम अंजाम देने की क्षमता वर्तमान अधिकारियों में है। खुसूर-फुसूर है कि मेला अधिकारी एवं  जिले के नए प्रशासनिक मुखिया के काम करने की स्पीड काफी है और उनकी स्पीड से चलने की स्थिति पूर्व से पदस्थ मात्र 40 फिसदी अधिकारियों में ही है ऐसे में कदमताल के लिए या तो पूर्व से पदस्थ अधिकारियों को स्पीड बढाना होगी या फिर तब्दीली के दायरे में आना होगा। कुछ तो इसकी तैयारी भी करने लगे हैं।

 

 

\

Author: Dainik Awantika

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *