उज्जैन। ईसाई समुदाय के प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाई जाने का दिन गुड फ्राइडे आज मनाया जायेगा। ऋषिनगर स्थित मारिया नगर कैथेलिक चर्च से दोपहर में क्रूस यात्रा निकाली जायेगी। गुड फ्राइडे की पूर्व संध्या में चर्च में पैर प्रक्षालन के साथ पवित्र बलिदान की आराधना की गई।
विगत रविवार को ईसाई समुदाय ने अपने प्रभु यीशु के यरूशेलम में प्रवेश करने का पर्व पॉम संडे मनाया था। वहीं आज शुक्रवार को प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाये जाने का दिन गुड फ्राइडे के रूप में मनाया जायेगा। आज के दिन प्रभु यीशु ने लोगों के पापों की क्षमा के लिये अपने प्राणों की आहूति दी थी। प्रतिवर्ष ईसाई समुदाय गुड फ्राइडे दुख के साथ मनाता है। आज कैथोलिक चर्च में दोपहर 2 बजे से विशेष प्रार्थना सभा शुरू होगी। विशप सेबास्टियन वडक्केल द्वारा प्रभु यीशु के सूली पर चढ़ाये जाने का स्मरण समाजजनों को कराया जायेगा और क्रूस पर यीशु द्वारा की गई वाणियों का वाचन करेगें। उसके बाद क्रूस यात्रा निकाली जायेगी। जो चर्च परिसर के आसपास से होती हुई पुन: चर्च परिसर में पहुंचेगी।
शाम को हुई पैर प्रक्षालन की विधी
गुड फ्राइडे की पूर्व संध्या पर कैथोलिक चर्च में पैर प्रक्षालन की विधी दोहराई गई। विशप ने समाजजनों के पैरों को धोकर विनम्रता का संदेश दिया। कहा जाता है कि प्रभु यीशु ने सूली पर चढ़ाये जाने से पहले अपने 12 चेलों के साथ भोजन किया था और उनके पैर धोएं थे। इसी का अनुशरण कर चर्च में विधी को दोहराया गया और बलिदान की आराधना की गई।
विगत रविवार को ईसाई समुदाय ने अपने प्रभु यीशु के यरूशेलम में प्रवेश करने का पर्व पॉम संडे मनाया था। वहीं आज शुक्रवार को प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाये जाने का दिन गुड फ्राइडे के रूप में मनाया जायेगा। आज के दिन प्रभु यीशु ने लोगों के पापों की क्षमा के लिये अपने प्राणों की आहूति दी थी। प्रतिवर्ष ईसाई समुदाय गुड फ्राइडे दुख के साथ मनाता है। आज कैथोलिक चर्च में दोपहर 2 बजे से विशेष प्रार्थना सभा शुरू होगी। विशप सेबास्टियन वडक्केल द्वारा प्रभु यीशु के सूली पर चढ़ाये जाने का स्मरण समाजजनों को कराया जायेगा और क्रूस पर यीशु द्वारा की गई वाणियों का वाचन करेगें। उसके बाद क्रूस यात्रा निकाली जायेगी। जो चर्च परिसर के आसपास से होती हुई पुन: चर्च परिसर में पहुंचेगी।
शाम को हुई पैर प्रक्षालन की विधी
गुड फ्राइडे की पूर्व संध्या पर कैथोलिक चर्च में पैर प्रक्षालन की विधी दोहराई गई। विशप ने समाजजनों के पैरों को धोकर विनम्रता का संदेश दिया। कहा जाता है कि प्रभु यीशु ने सूली पर चढ़ाये जाने से पहले अपने 12 चेलों के साथ भोजन किया था और उनके पैर धोएं थे। इसी का अनुशरण कर चर्च में विधी को दोहराया गया और बलिदान की आराधना की गई।