रात 11 बजे महाकाल से निकली सवारी, गोपाल मंदिर पर हुआ हरिहर मिलन

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उज्जैन। वैकुंठ चतुर्दशी की रात उज्जैन में अद्भुत हरिहर मिलन हुआ। रात 11 बजे महाकाल मंदिर से सवारी निकली जो गुदरी चौराहा, पटनी बाजार होते हुए गोपाल मंदिर पर पहुंची जहां मंत्रोंच्चार कर हरि से हर का मिलन कराया गया। करीब दो घंटे अभिषेक-पूजन व आरती के पश्चात आधी रात में सवारी पुन: गोपाल मंदिर से निकली व महाकाल मंदिर पहुंचकर समाप्त हुई। सवारी में हमेशा की तरह आगे तोपची धमाके हर राजाधिराज महाकाल के आने की सूचना दे रहे थे। पुलिस जवान 5 घोड़ों पर सवार होकर निकले तो पुलिस का बैंड आकर्षक धुन बजाते हुए निकला। सवारी में परंपरागत भजन मंडली के साथ भक्त व मंदिर के पंडे-पुजारियों का दल चल रहा था। बीच में बाबा महाकाल चांदी की पालकी में विराजित होकर भक्तों को दर्शन देते हुए निकले।

महाकाल से गोपाल मंदिर तक श्रद्धालु कई घंटों पहले से उमड़े

हरिहर मिलन के दौरान भगवान शिव ने विष्णु को सृष्टि का भार सौंप दिया। इस पल को निहारने के लिए महाकाल से लेकर गोपाल मंदिर तक हजारों की संख्या में लोग कई घंटों पहले से जमा थे। जैसे ही बाबा महाकाल की सवारी मंदिर से निकली जो संपूर्ण मार्ग पर जय महाकाल का उद्घोष गूंजने लगा।

आतिशबाजी रोकने के लिए प्रशासन व पुलिस की भारी सख्ती दिखी

हरिहर मिलन की सवारी के दौरान लोग गलत तरीके से आतिशबाजी करते हैं। इससे आम लोगों को नुकसान पहुंचने का खतरा बना रहता है। इसको ध्यान में रखते हुए कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने एक दिन पहले ही आदेश जारी कर सवारी मार्ग पर आतिशबाजी करने पर प्रतिबंध के आदेश जारी कर दिए थे। मार्ग पर भारी पुलिस बल तैनात रहा तो सीसी कैमरों से भी नजर रखी गई। इस सख्ती के कारण ही मार्ग में न के बराबर लोगों ने आतिशबाजी का प्रयोग किया।

गोपाल मंदिर में हर व हरि का आमने  सामने कराया मिलन, मालाएं अर्पित

सवारी महाकाल से गोपाल मंदिर पहुंची इसके बाद पालकी में विराजित महाकाल की प्रतिमा को गोपाल मंदिर के अंदर गर्भगृह में भगवान द्वारकाधीश के सामने विराजित किया गया। इसके बाद पंडे-पुजारियों ने मंत्रोंच्चार के बीच अभिषेक-पूजन किया। पूजन सामग्री, भोग में फल, मिठाई, ड्रायफ्रूट्स आदि अर्पित किए गए। वहीं सबसे खास रस्म महाकाल की ओर से द्वारकाधीश को बिल्वपत्र की माला तो द्वारकाधीश की ओर से महाकाल को तुलसी की माला अर्पित की गई। इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए पुराने शहर में महाकाल मंदिर से लेकर गोपाल मंदिर तक हजारों लोग उमड़ते हैं। पूजन के बाद आधी रात में सवारी वापस गोपाल मंदिर से महाकाल मंदिर पहुंची।

 

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