उज्जैन में कचरा ले जाने की व्यवस्था चरमराई

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ब्रह्मास्त्र उज्जैन

उज्जैन नगर निगम ने डोर टू डोर कचरा कलेक्शन तथा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए एजेंसी चयन के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं। कचरा कलेक्शन और ट्रांसफर स्टेशन से प्रोसेसिंग प्लांट तक कचरा ले जाने के लिए व्यवस्था चरमरा गई है। इस कारण से एक व्यवस्थित एजेंसी के चयन लिए नगर निगम द्वारा विज्ञप्ति जारी की गई है।

उज्जैन नगर निगम क्षेत्र में लगभग 7 लाख 30 हजार की जनसंख्या है तथा इस शहर का क्षेत्रफल 92.68 वर्ग किलोमीटर है। कुल 54 वार्ड और 6 जोन में मिलाकर यहां 1 लाख 30 हजार घर बने हुए हैं। उज्जैन शहर में कुल वेस्ट का जनरेशन प्रतिदिन 300 टन होता है। यहां पर दो ट्रांसफर स्टेशन है जहां विभिन्न वार्डों से कचरा इकट्ठा करके डंप किया जाता है।

वर्तमान में कचरा इकट्ठा करने और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए कचरे को प्रोसेसिंग प्लांट तक पहुंचाने के लिए व्यवस्था गड़बड़ हो गई है। मक्सी रोड के एमआर 5 पर स्थित ट्रान्सफर स्टेशन पर इतना कचरा इकट्ठा हो गया है कि वहां लगी आग बुझने का नाम नही ले रही। आसपास की कॉलोनी के लोग परेशान है। नगर निगम द्वारा वर्तमान में चलाई जा रही कचरा गाड़ियां एकदम ढचरा हो गई है और इनकी कंडीशन इतनी खराब है कि रास्ते में कचरा गिरता हुआ देखा जा सकता है। कुल 150 कचरा गाड़ी जिनकी उम्र 4 साल से कम हो मांगी गई
नगर निगम द्वारा नई एजेंसी के चयन के लिए जारी की गई विज्ञप्ति में कचरा कलेक्शन करने के लिए तथा ट्रांसफर स्टेशन में से 20 किलोमीटर दूर गोंदिया प्रोसेसिंग प्लांट के लिए कुल 150 कचरा कलेक्शन गाड़ियां मांगी गई है। इनमें 110 गाड़ी वार्ड के लिए रहेगी, 20 गाड़ियां औद्योगिक क्षेत्र के कचरे को उठाएगी, 10 गाड़ियां विभिन्न मंदिरों से आने वाले कचरे को शिफ्ट करेगी तथा 10 गाड़ियां रिजर्व रखी जाएगी। इसी तरह दो जेसीबी, एक पोकलैंड मशीन इंसुलेटर सहित एजेंसी को लगाना होगी। दोनों ट्रांसफर स्टेशन पर वेइंग ब्रिज भी कंपनी लगाएगी। साथ ही जिस कंपनी को सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का ठेका दिया जाएगा वह अपना कंट्रोल रूम स्थापित करेगी और आने वाली शिकायतों को निराकरण के लिए सिस्टम बनाया जायेगा। प्रस्ताव में कहा गया है कि कंपनी के सभी ड्राइवर लाइसेंस वाले ही होंगे तथा ट्रांसफर स्टेशन पर कम से कम 16 टन के 10 क्लोज कंटेंनर रखे जायेंगे।

हर वाहन में जीपीएस फिक्स होगा। नगर निगम के इस बड़े प्रस्ताव को लेकर कितनी कंपनियां सामने आती है यह बात तो 4 दिसंबर के बाद ही पता लगेगी। हालांकि नगर निगम की माली हालत एकदम गंभीर है और ठेकेदार नगर निगम के टेंडर से दूर भाग रहे हैं।
नगर निगम को नई एजेंसी की तलाश

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