आयुष्मान योजना के इलाज में ’खेल’ करने वाले अस्पतालों पर अब कसेगी नकेल
भोपाल सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार आयुष्मान का कार्ड लेकर पहले पंजीयन करते हैं। फिर नोडल सेंटर से स्वीकृति मिलने में देरी का बहाना बनाते हैं। इस दौरान मरीज से इलाज और जांच के नाम पर रुपए वसूलते रहते हैं। मरीज के डिस्चार्ज होने पर उसे आयुष्मान का लाभार्थी दिखाकर योजना के तहत भी पैसा वसूल लेते हैं। ऐसे में अब आयुष्मान योजना में गड़बडिय़ां करने वाले अस्पतालों पर नकेल कसने की तैयारी है। प्रदेश का आयुष्मान कार्यालय इसकी ऑनलाइन मॉनीटरिंग की व्यवस्था करने जा रहा है। इसके लिए विशेष सॉफ्टवेयर बनाया जा रहा है। इसमें मरीजों के भर्ती होने के बाद से अस्पताल से तय फॉर्मेट में ऑनलाइन जानकारियां ली जाएंगी। इनका सॉफ्टवेयर से एनालिसिस होगा। नियमों से इतर कुछ भी फैक्ट पकड़ में आने पर संबंधित अस्पताल को नोटिस जारी किया जाएगा। इसके बाद नियमानुसार कार्रवाई होगी।
फर्जीवाड़ा रोकने के लिए विशेष सॉफ्टवेयर
आयुष्मान योजना के नाम पर होने वाले फर्जीवाड़ा को रोकने के लिए विशेष सॉफ्टवेयर बनवाया जा रहा है। यह इनोवेशन करने वाला मप्र पहला राज्य होगा। यह सॉफ्टवेयर 6 माह में तैयार होने की संभावना है। गौरतलब है कि अभी आयुष्मान योजना में कार्ड बनवाने से लेकर मरीजों के इलाज में कई तरह की गड़बडिय़ों की शिकायतें मिल रही हैं। इनकी जांच कराई जाती है लेकिन इसमें काफी समय लग जाता है। इसलिए आयुष्मान के प्रदेश कार्यालय ने ऑनलाइन गड़बडिय़ां पकडऩे की योजना तैयार की है। इस पर काम शुरू भी शुरू हो गया है। आयुष्मान भारत योजना मप्र के सीईओ डॉ. योगेश भरसट ने बताया कि हम सॉफ्टवेयर के माध्यम से ऑनलाइन गड़बडिय़ां पकडऩे की दिशा में काम कर रहे हैं। इसमें अस्पतालों से जो जानकारियां, फोटो, वीडियो आदि लिए जाएंगे उसी से सॉफ्टवेयर खुद ही गड़बड़ी पकड़ लेगा। इससे अभी जो गड़बडिय़ां हो रही हैं उन्हें कम करने में मदद मिलेगी। जो निजी अस्पताल गड़बड़ी करते पाए जाते हैं, उनके खिलाफ चार प्रकार की सजा है। इसमें उनकी संबद्धता का निलंबन, पेनाल्टी, एफआइआर और योजना से संबद्धता खत्म करना शामिल है।