बडी फर्मों से सेटिंग में पूर्व से चल रही केंद्र की शर्तें ही बदल दी गई, टिंकरिंग लैब योजना की निविदा की शर्तों में सिरे से लोचा
-निविदाकारों से कोरोना काल का भी 20 करोड का टर्नओवर मांग लिया
उज्जैन। केंद्र की अटल टिंकरिंग लैब स्थापना योजना के राज्य में आते ही लोचे की तैयारी हो गई है। योजना में किसी एक बडी फर्म को लाभ पहुंचाने के लिए केंद्र की योजना की निविदा की शर्तों में ही परिवर्तन कर दिया गया है। हाल यह हैं कि कोरोना काल में भी छोटी फर्मों से 20 करोड प्रतिवर्ष का टर्नओवर मांग लिया गया है। राज्य में जारी जिले वार निविदा की शर्तें शंका से परे नहीं कही जा सकती हैं।
कुछ वर्ष पर निती आयोग ने स्कूलों में प्रायोगिक शिक्षा को सुदृढ करने के लिए अटल टिंकरिंग लैब स्थापना की योजना को अमल में लाया था। पूर्व में एकमेव केंद्र की शर्त के तहत स्थानीय व्यापारियों को इसमें अवसर देते हुए उनसे ही स्वीकृत स्कुलों में 20 लाख के तहत 10 लाख में लेब का सामान एवं अन्य 10 लाख में उसके संचालन की व्यवस्था को अंजाम दिया था। इसके तहत प्रदेश में करीब 500 स्कूल लैब से अपडेट हो चुके हैं। केंद्र ने इस योजना को अब राज्य के स्तर पर दे दिया है। इसके तहत लोक शिक्षण संचालनालय इसे जिलावार निविदा आमंत्रित करवा रहा है। इसमें किसी एक फर्म को लाभ पहुंचाने के लिए ऐसी शर्तों को जोडा गया है जिससे जिला स्तर पर ठेकेदार उसमें भाग ही न ले सकें एवं प्रतिस्पर्धा स्वस्थ्य न होकर प्रायोजित कि जा सके। ये लेब पीएम श्री स्कूलों में स्थापित की जाना हैं।
एमपी के पीएम श्री स्कूलों में अटल टिंकरिंग लैब के लिए डीईओ द्वारा हाल ही में जारी निविदाओं में अपने पसंद की फर्म को लाभ पहुंचाने के लिए शर्तें रखी गई हैं। इसमें स्पष्ट हो रहा है कि निविदा निष्पक्षता एवं स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा के तहत न हो कर प्रायोजित की जा रही हैं। सीधे –सीधे ये शर्तें
स्टार्टअप्स के लिए खरीद प्राथमिकता से संबंधित नियमों को धता बता रही हैं। नई शर्तों में नए ठेकेदार एवं नवाचार करने वालों को सिरे से दरकिनार कर दिया गया है। कोरोना काल सहित पिछले 3 वर्षों का टर्न ओवर 60 करोड का औसत मांगा गया है यानिकी प्रति वर्ष 20 करोड। नए ठेकेदारों के लिए किसी प्रकार की छूट का प्रावधान ही नहीं है। पूर्व में एक ही निविदा पूरे राज्य के लिए आमंत्रित की गई और उसमें कुल 8 करोड का टर्न ओवर मांगा गया लेकिन इस बार जिला स्तर पर आमंत्रित निविदाओं में जान बूझकर 20 करोड का टर्न ओवर मांगा गया है जिससे स्पष्ट हो रहा है कि निविदा प्रायोजित तौर पर आयोजित की जा रही है। निविदा की शर्तों में 160 स्कूलों में उपकरण आपूर्ति,640 शिक्षकों का प्रशिक्षण जैसी विशेष शर्तें जोडकर इसे विशेष फर्म तक ही सिमित करने का षडयंत्र किया गया है। शर्तो के तहत BIS प्रमाणन मांगा गया है जो कि इसके लिए लागू ही नहीं मानी जा सकती है सीधे तौर पर निविदा की प्रतिस्पर्धा को समेटने और मनचाहे फर्म को निविदा देने की कूटरचना के तहत ऐसा किया जाना सामने आ रहा है। निविदा में 10 टन की फिलामेंट उत्पादन क्षमता अनिवार्य की गई है, जबकि वास्तविक आपूर्ति आवश्यकता प्रति प्रयोगशाला केवल 5 किलोग्राम है।इससे साफ हो रहा है कि किसी बडी एवं उत्पादक फर्म के दबाव में ऐसी शर्तों को जोडा गया है।
शिकायत पहुंची हाईलेबल पर-
जेम पर जिला स्तर पर जारी इस निविदा में हो रहे लोचे को लेकर मामला हाईलेबल का हो गया है। इसे लेकर कई शिकायतें लोक शिक्षण संचालनालय सहित सामान्य प्रशासन विभाग एवं आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ को भी पहुंची है।